Yuan Vs Dollar: क्या अब अरब देश अपने कच्चे तेज का व्यापार चीन की मुद्रा युवान में भुगतान स्वीकार करेंगे? यह सवाल पिछले हफ्ते चीन और अरब देशों के बीच हुए शिखर सम्मेलन के बाद से वित्तीय बाजारों में जोरों-शोरों से छाया हुआ है। क्योंकि यदि अरब देश चीन की मुद्रा में भुगतान करने के लिए राजी हो जाते हैं तो उसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी बहुत बड़ा असर पड़ेगा। अभी दुनिया में कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के व्यापार की मुख्य भुगतान मुद्रा अमेरिकी डॉलर है। दरअसल, 9 नवंबर को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित अरब सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह प्रस्ताव पेश किया था।
क्या है मामला ?
हाल ही में, 9 दिसंबर को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अरब देशों के साथ अपनी बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने ऊर्जा व्यापार में चीनी मुद्रा युवान के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा था। दरअसल, चीन लंबे समय से विश्व व्यापार पर Dollar के वर्चस्व को तोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है। विश्लेषकों की माने तो, अब ऐसा लगता है कि चीन ने खुल कर डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का इरादा कर लिया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अरब सम्मेलन में कहा-”चीन खाड़ी देशों से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता रहेगा।, हम चाहते है कि ऊर्जा व्यापार के बदले भुगतान युवान में किया जाए”।
क्या है खाड़ी देशों का रूख ?
वेबसाइट Business Insider के मुताबिक, खाड़ी देशों का इस संबंध में क्या रूख है, यह तो मालूम नहीं हुआ। परन्तु सऊदी अरब युवान में सेटलमेंट के बारे में चीन के साथ बातचीत कर रहा है। आपको बताते चलें कि सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है, जबकि चीन उसके तेल का सबसे बड़ा आयातक/खरीदार है।
क्या है विशेषज्ञों की राय ?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तेल का व्यापार युवान में शुरू हुआ, तो दुनिया के रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर की हैसियत को तगड़ा झड़का लगेगा। इससे दुनिया में ‘De-Dollarisation’ अर्थात् डॉलर का वर्चस्व खत्म होने की प्रकिया शुरू हो जाएगी। think tank institute for analysis of global security के निदेशक गाल लुफ्त ने अमेरिकी TV Channel CNBC से कहा- ‘सऊदी अरब चीन से भारी मात्रा में खरीदारी करता है। वहीं चीन भी सऊदी अरब से बड़ी खरीदारी करता है। ऐसे में उनकी सोच है कि वे क्यों किसी तीसरे देश की मुद्रा में आपसी व्यापार करें। ऐसा करने में उन्हें विनिमय दर की कीमत चुकानी पड़ती है’।
क्या पहले भी हो चुका है ऐसा ?
पहले से ही चीन और रूस के बीच तेल और गैस के व्यापार का भुगतान युवान में हो रहा है। इसके अलावा ई के साथ भी उसका कारोबार युवान एवं ईरानी मुद्रा में होता है। क्योंकि रूस और ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं, इसी कारण उन्होंने चीनी मुद्रा को स्वीकार करने का फैसला लिया था। सऊदी अरब एवं खाड़ी देश अगर इसके लिए तैयार हो जाते हैं, तो यह उनका अपनी पसंद से लिया गया फैसला होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका दूरगामी असर होगा।
चीनी विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान :
चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान के जरिए राष्ट्रपति जिनपिंग की तरफ से रखे गए इस प्रस्ताव का विवरण जारी किया है। इस बयान के मुताबिक, जिनपिंग ने कहा- ‘तेल और गैस के व्यापार में Yuanके जरिए भुगतान के लिए शंघाई पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का पूरा उपयोग किया जाएगा।’ परन्तु इस बयान में यह नहीं बताया गया कि इस रूप में भुगतान की शुरूआत कब से होगी। और न ही इस बयान से यह स्पष्ट हुआ है कि खाड़ी देश युवान में भुगतान को स्वीकार किया है अथवा नहीं।
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