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World Trible Day: क्‍यों मनाते हैं विश्‍व आदिवासी दिवस? जानें जनजातियों से संबंधित सबकुछ…

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World Trible Day

                                            

World Trible Day: विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस ‘World Trible Day’ के रूप में प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है।  इसका उद्देश्य विश्व की जनजातीय व वनवासी समाज की प्रतिष्ठा, उसके गौरव एवं  अधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा के लिए उचित व्यवस्था करना तथा उनके द्वारा पर्यावरण जैसे वैश्विक मुद्दों पर योगदान को स्वीकार करना है | भारत की कुल जनसँख्या का लगभग  8.6% जनजातीय / मूलनिवासी /स्वदेशी /आदिवासी आबादी है, जिसमें से गौंड समुदाय भारत का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है | प्रकृति पूजन हमें वेदों से प्राप्त हुआ है  जिसके प्रति नगरीय समाज की अपेक्षा जनजातीय समाज अधिक आग्रही रहा, जनजातीय समाज रक्षण का पत्र नहीं अपितु शेष समाज का रक्षक भी रहा है |   

थीम (2022) :     “संरक्षण और पारंपरिक ज्ञान के प्रसारण में स्वदेशी महिलाओं की भूमिका”

विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास :

  •  यह दिन वर्ष 1982 में जेनेवा में  मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी दल द्वारा स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र की पहली बैठक को मान्यता देता है | 
  •  संयुक्त राष्ट्र  की घोषणा के अनुसार वर्ष 1994 से प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है | प्रधानमंत्री मोदी ने ‘विश्‍व आदिवासी दिवस‘ को ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है।

स्वदेशी लोग :

आदिवासी या स्वदेशी लोग अद्वितीय संस्कृतियों, लोगो एवं पर्यावरण समर्थित परंपराओं के उत्तराधिकारी व अभ्यासी हैं |  इन्होंने ही सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विशेषताओं को अभी तक  बरक़रार रखा हुआ है जो उन प्रमुख समाजों से अलग हैं जिनमें वे रहते हैं |  दुनिया के 90 देशों में 476 मिलियन से अधिक स्वदेशी लोग रहते है, जो विश्व की कुल आबादी का लगभग 6% हिस्सा है |

 स्वदेशी लोगों का महत्व :

 

पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा – स्वदेशी आबादी के द्वारा आज विश्व की लगभग 80% जैव विविधता संरक्षित एवं आबाद है |  महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भूमि, प्रकृति और इसके विकास के बारे में उनका सहज एवं विविध ज्ञान बेहद महत्वपूर्ण है | 

भाषाओं का संरक्षण – दुनिया की अधिकांश सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 470  मिलियन आदिवासी या स्वदेशी लोगों द्वारा दुनिया में लगभग 7000 भाषाओं में सर्वाधिक भाषाएं बोली जाती हैं | 

शून्य भुखमरी लक्ष्य में योगदान – इनके द्वारा उगाई जाने वाली फसलें अत्यधिक प्राकृतिक अनुकूलनीय होती हैं, वे सूखा, बाढ़, ऊंचाई, एवं तापमान किसी भी प्रकार की आपदा से भी बच सकती हैं |  स्पष्तः ये फसलें खेतों को पर्यावरण अनुकूल बनाये रखने में मदद करती हैं | इनके  आलावा मोरिंगा, क्विनोआ और ओका ऐसी देशी फसलें हैं जो हमारे खाद्य आधार का विस्तार और विविधता लाने  की क्षमता रखती हैं | ये ज़ीरो हंगर लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी | 

अन्य  प्रमुख वैश्विक प्रयास :

स्वदेशी भाषाओं का दशक (2022-2032) :

इसका उद्देश्य स्वदेशी या स्थानीय भाषाओं का संरक्षण एवं संवर्धन करना है, जो उनकी संस्कृतियों, विश्व के विचारों एवं दृष्टिकोणों के साथ-साथ आत्म निर्णयन की अभिव्यक्ति को संरक्षित करने में मदद करता है  |

 विश्व के आदिवासियों  के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणा (UNDRIP):

इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के स्वदेशी लोगों के अस्तित्व, सम्मान और कल्याण हेतु न्यूनतम मानकों का एक सार्वभौमिक ढाँचा प्रस्तुत करना  है |  

स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी संयुक्त राष्ट्र फोरम :

इस फोरम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक विकास, संस्कृति, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवाधिकारों से सम्बंधित स्वदेशी मुद्दों को निपटाना है |  यह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद हेतु एक सलाहकार निकाय है | 

भारत में जनजातियाँ :

जनजातीय डेटा विश्लेषण :

भारत की  कुल आबादी का लगभग 8.6% जनजातीय समूह है |  एवं विश्व की जनजाति का  लगभग 104 मिलियन जनजातीय आबादी भारत में निवास करती है |  यद्यपि 705 ऐसे जातीय समूह है जिनकी औपचारिक रूप से पहचान की गयी है, इसमें 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) हैं | 

भारत की सबसे बड़ी जनजाति गौंड जनजातीय समुदाय है | 

सबसे अधिक संख्या में जनजातीय समुदाय (62) ओडिशा राज्य में पाए जाते हैं | 

केंद्रीय जनजातीय बेल्ट में भारत के पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं (राजस्थान से लेकर पश्चिम बंगाल तक के क्षेत्र सहित) , सर्वाधिक स्वदेशी आबादी का क्षेत्र है | 

इनसे संबंधित प्रमुख संवैधानिक प्रावधान :

अनुच्छेद 15 –   केवल धर्म, जाति, मूल वंश, लिंग व जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का   निषेध करता है |

 अनुच्छेद 16 –    लोक नियोजन से संबंधित मामलों में अवसर की समानता पर बल | 

अनुच्छेद 46 –   अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना | 

अनुच्छेद 335 –    अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित सेवाओं और  पदों पर दावा |

 अनुच्छेद 342 (1) –   राष्ट्रपति किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में,राज्यपाल के परामर्श के बाद एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजाति के रूप में जनजातीय समुदायों या जनजातियों के उप-समूह या समूहों को जब चाहे निर्दिष्ट कर सकता है | 

5 वीं और 6 वीं अनुसूची –  अनुसूचित जाति एवं  जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण का उल्लेख है | भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338-A के तहत केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना की गयी है | 

आदिवासी समुदायों से सम्बंधित समितियां :

लोकुर समिति (1965) |

भूरिया आयोग (2002-2004) |

शाशा समिति (2013) |

क़ानूनी प्रावधान :

  1. अस्पृश्यता के अंत के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 | 
  2. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 – अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार के   अपराधों को रोकने के लिए
  3. पंचायत अधिनियम, 1996 ( अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) –  पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग -9 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए आधार प्रदान करता है | 
  4. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन निवासी अधिनियम,  2006 | 

सरकार द्वारा की गयी पहल :

ट्राइफेड – यह राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है |  यह TRIFOOD एवं MFP के लिए msp   जैसी योजनाओं में शामिल है |

प्रधानमंत्री वन धन योजना –  यह योजना जनजातीय स्वयं सहायता समूहों के गठन एवं इन्हें जनजातीय उत्पादक कंपनियों को मजबूत करने के लिए एक बाजार से जुड़े आदिवासी उद्यमिता विकास कार्यक्रम है |

क्षमता निर्माण पहल – आदिवासी पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए।

आदिवासी स्कूलों का डिजिटलीकरण  –  पहले चरण में 250 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपनाया गया है, जिसमें 50 EMRS स्कूलों को गहन प्रशिक्षण दिया जायेगा और 500 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा | 

 

 

Kusum
I am a Hindi content writer.

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