Vikram Vedha Review: विक्रम और बेताल की पौराणिक कहानियों पर आधारित ‘Vikram Vedha’ इसका फिल्मी रूपांतरण है। बेताल पच्चीसी में आपने सुना ही होगा कि कैसे राजा विक्रमादित्य की मुलाकात बेताल से होती है। बेताल अलग-अलग कहानियां सुनाकर विक्रम से सही जवाब देने को कहा करता है। डायरेक्टर पुष्कर ने फिल्म ‘विक्रम वेधा’ को बेताल पच्चीसी के ही कॉन्सेप्ट में पुलिस और गैंगस्टर के आधार पर फिल्माया है। हिंदी सिनेमा में ऋतिक को उनके डांसिग स्टाइल और उनकी स्माइल को खूब पसंद किया गया है। उनकी अदाकारी के फैंस मिलियन्स में है, लेकिन फैंस हर बार अपने हीरो को उसी रूप में देखना ज्यादा पसंद करते हैं जैसी छवि पहले से उनके मन में बसी रहती है। और यही वजह है कि ऋतिक रौशन तमिल फिल्म ‘विक्रम वेधा’ की हिंदी रीमेक का मामला जमता नहीं दिखाई पड़ रहा है।
क्या है फिल्म की कहानी:
फिल्म की शुरूआत SSP विक्रम (सैफअली खान) से होती है, जो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट है। विक्रम को अपराधियों की जान लेने में कोई परेशानी नहीं है। अभी तक विक्रम 18 लोगों की जान ले चुका है। लेकिन अब विक्रम और उसकी टीम को एक ही आदमी की तलाश है। वह शातिर आदमी एक निडर और खूंखार गैंगेस्टर है। जिसकी हेवानियत के चर्चे दूर-दूर तक फैले है। यही शातिर शख्स एक बार तीसरे माले से तलवार लेकर कूदा और एक नेता के दो टुकड़े कर दिए। इस शातिर शख्स का नाम वेधा (ऋतिक रौशन) है।
फिल्म ‘Vikram Vedha’ की 5 खामियां :
भाषा को समझने में चूके पुष्कर
यहां बेताल यानी वेधा अपनी मानसिक दशा को बयान करते किस्से सुनाता है। जहां उसका उद्देश्य विक्रम से किसी गूढ़ नैतिक प्रश्न का उत्तर पाना नहीं होता है। यह कहानी तमिलनाडू की बस्तियों से निकलकर उत्तरप्रदेश के लखनऊ तक पहुंच जाती है। लेकिन फिल्म में यूपी की भाषा अवधि की जगह पर भी भोजपुरी ही है। यह इस फिल्म की एक कमजोर कड़ी है। जो ऋतिक के किरदार को पहले ही संवाद में लंड़गा कर देती है।
फिल्म की चमक में खोया असली अंदाज
फिल्म ‘विक्रम वेधा’ को बनाने का अंदाज इसकी दूसरी कमजोर कड़ी है। क्योंकि इसमें बनावटीपन नजर आता है। इसकी मूल तमिल फिल्म का देसीपन ही उस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत अथवा विशेषता रही है। इसकी असली फिल्म में कोई बनावट नहीं दिखी । लेकिन इसके हिंदी रीमेंक में इनका असली अंदाज खोया हुआ सा नजर आता है।
दिखाया गया नकली उ. प्र
तमिल का हिंदी रिमेक फिल्म ‘विक्रम वेधा’ में अबूधाबी में मेहनत करके नकली उ.प्र. तो बना लिया गया लेकिन फिल्म की यह तीसरी कमजोरी है। क्योंकि किसी फिल्म के लिए कहानी की अंतर्धारा, वहां के लोक का कलेवर और वहां की पृष्ठभूमि भी किसी हीरो से कम किरदार नहीं निभाती है।
संगीत की नकारात्मकता
फिल्म में लेखन, निर्देशन और अभिनय के अलावा फिल्म संगीत में भी मात खाती है। इस फिल्म में ‘एल्कोहोलिया’ गाना बिना किसी जरूरत के फिल्म में है। जिसे फिल्म की चौथी कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। इस गाने में शराब प्रचार करने और ऋतिक की युवाओं में बनी छवि को खराब करने को लेकर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
जरूरत से ज्यादा लंबी है फिल्म ‘Vikram Vedha’
फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी भी है । इस फिल्म का ट्रिपल क्लाइमेक्स दर्शकों के धीरज का जमकर इम्तिहान लेती है। इसके साथ ही इस फिल्म में, विक्रम किसी भी तरह वेधा को शिकंजे में कसना चाहता है और कहानी का शिकंजा इस बार देसी अंदाज में न होकर बिल्कुल वॉलीवुडिया है।
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