Veer Bal Diwas: आज पूरा देश ‘Veer Bal Diwas‘ मना रहा है। इस मौके पर PM मोदी मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित ‘वीर बाल दिवस’ कार्यक्रम शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने साहिबजादों की शहादत, गुरू गोविंद सिंह के त्याग की भी चर्चा की। मोदी ने साहिबजादों को श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि मुझे आज 26 दिसंबर के दिन को ‘वीर बाल दिवस‘ के तौर पर घोषित करने का मौका मिला । उन्होंने संबोधन में कहा कि भले ही वीर बाल दिवस भावों से भरा हो, लेकिन इसमें आकाश की तरह अनंत प्रेरणाएं हैं। यह दिवस हमें प्रेरणा देता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय आयु मायने नहीं रखती है।
क्या बोले PM मोदी ?
यह दिवस हमें बताएगा की भारत की पहचान क्या है:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में पहुंचकर साहिबजादों को श्रध्दांजली अर्पित की और कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दस गुरूओं का योगदान क्या है। देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा के बलिदान का क्या महत्व है। यह दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है। मोदी ने कहा- ”इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युध्द में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था”।
एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर अध्यात्म का शीर्ष :
PM मोदी मुगलकाल का जिक्र करते हुए ‘वीर बाल दिवस’ समारोह में बोले, ”एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरू, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा। एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो वहीं दूसरी ओर अध्यात्म का शीर्ष। एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता। इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरू के वीर साहिबजादे। ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं।”
हमें अतीत के संकुचित नजरिए से आजाद होना होगा :
प्रधानमंत्री ने कहा कि, ”यदि हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखर तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नजरिये से आजाद होना होगा। इसलिए, आजादी के ‘अमृतकाल’ में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का प्राण फूंका है”। उन्होंने कहा कि हम ‘अमृत महोत्सव’ के इस पावन अवसर पर देश में स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुर्नजीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। स्वाधीनता सेनानियों, वीरांगनाओं, आदिवासी समाज के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम कातम कर रहे हैं।
क्यों और कब मनाया जाता है ‘वीर बाल दिवस’ ?
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल की शुरूआत में 9 जनवरी 2022 में यह घोषणा की थी, कि 26 दिसंबर को गुरू गोविंद सिंह के चार बेटों, ‘साहिबजादे’ के साहस को श्रध्दांजलि देने के लिए प्रतिवर्ष ‘वीर बाल दिवस‘ के रूप में मनाया जाएगा। 26 दिसंबर की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि इस दिन को साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेज सिंह के शहदी दिवस के रूप में मनाया जाता था। आपको बता दें कि आज ही के दिन गुरू गोबिंद सिह के 4 बेटों में से 2 बेटे महज 6 और 9 साल की छोटी सी उम्र में मुगल सेना के हाथों मारे गए थे।
Comments