UP Nikay Chunav: आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से ‘UP Nikay Chunav’ को लेकर सकारात्मक खबर मिली है। दरअसल, सर्वोच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश केशहरी स्थानीय चुनाव बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कराने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निकाय चुनावों पर सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया था। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। और अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शहरी नगर निकाय चुनाव को लेकर बडा फैसला सुनाया है।
SC ने क्या निर्देश दिया ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ”यूपी सरकार की ओर से नियुक्त पैनल को 3 महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा”। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान स्थानीय निकायों का प्रशासन बाधित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कार्यकाल समाप्त होने के बाद अधिकारों को प्रत्यायोजित करने के लिए स्वतंत्र होगी। इससे पहले स्थानीय निकाय चुनावों के मुद्दों हेतु उप्र सरकार की याचिका पर शीर्ष न्यायालय सहमत हो गया था। मामलें की सुनवाई 4 जनवरी को तय की गई थी।
अधिकारियों की पुर्ननियुक्ति :
आगे शीर्ष न्यालय ने कहा, उत्तर प्रदेश स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिन प्रशासकों को उनकी शक्तियों सौंपी जाएंगी, वे बड़े नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। CJI न्यायामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने राज्य सरकार की आरे से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। पीठ ने निर्देश दिया कि आयोग को 31 मार्च तक स्थानीय नगर निकायों के चुनाव के लिए OBC आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा।
राज्य सरकार ने दी थी यह दलील :
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय 5 दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता। राज्य सरकार ने कहा, संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अलावा OBC को भी शहरी निकाय चुनावों में सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रूचिरा गोयल द्वारा दायर अपील में कहा गया था कि, OBC संवैधानिक रूप से संरक्षित वर्ग है और हाईकोर्ट ने मसौदा अधिसूचना को रद्द करने में गलती की है। दरअसल, यूपी सरकार ने हाल ही में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में OBC को आरक्षण प्रदान करने के लिए सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए 5 सदस्यीय आयोग नियुक्त किया है।
क्या है मामला ?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 दिसंबर को निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। जिसमें कहा गया कि, उप्र सरकार ने आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया। इस पर हाईकोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना को रद्द करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल प्रभाव से बिना OBC आरक्षण लागू किए नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला दे दिया था।
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