Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन युध्द दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस युध्द का खामियाजा न सिर्फ इन दोनों देशों भुगतना पड़ रहा है, बल्कि वैश्विक पटल पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। रूस के ताबड़तोड़ मिसाइल हमलों के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने सात देशो के समूह ‘G-7’ से एयर डिफेंस सिस्टम की गुहार लगाई है। वोलोदिमिर जेलेंस्की ने 11 अक्टूबर 2022 को जी-7 देशों के नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने सभी नेताओं को रूसी आक्रमण के खतरे से उत्पन्न Ukraine Crisis के बारे में आगाह किया था। उन्होंने G-7 देशों से सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम की मांग की है।
G-7 की वर्चुअल बैठक में क्या बोले जेलेंस्की
इस बैठक में जेलेंस्की ने कहा- दिनो-दिन रूस के हमले बढ़ते जा रहे हैं। रूस रिहायशी क्षेत्रों, स्कूलों को निशाना बना रहा है। रूस के इस खतरे को मजबूत तरीके से रोका जाना चाहिए। मै आपसे यूक्रेन के लिए एक एयर शील्ड के निर्माण के साथ आर्थिक सहयोग एवं समग्र प्रयास को मजबूत करने के लिए कह रहा हूं। सात देशों के समूह ‘G-7’ के इस सहयोग के लिए लाखों लोग हमेशा आभारी रहेंगे।
एयर डिफेंस सिस्टम की मांग की
मंगलवार को सम्पन्न हुई इस वर्चुअल बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति वालोदिमिर जेलेंस्की ने G-7 के सभी नेताओं को रूस के खतरनाक मंसूबों से रूबरू करवाते हुए, सुरक्षा की गुहार लगाई है। जेलेंस्की ने रूसी हवाई आक्रमणों को रोकने तथा उन्हें मार गिराने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम देने की मांग की है। इस दौरान G-7 देशों के सदस्यों ने यूक्रेन को यह भरोसा दिलाया है कि वे यूक्रेन की मदद जरूर करेंगें। साथ ही रूस को चेतावनी देते हुए कहा कि पुतिन आक्रमण करना बंद कर दे नहीं तो अंजाम बहुत बुरा हो सकता है।
जी-7 समूह ने दिया मदद का भरोसा
बैठक के अंत में जी-7 सदस्यों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में वित्तीय, मानवीय, राजनयिक, सैन्य और कानूनी समर्थन को लंबे समय तक जारी रखने का वादा किया है। ये देश पहले भी इस तरह की सहायता करते आए हैं। सात देशों के समूह ‘जी-7’ में अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली एवं कनाडा शामिल हैं।
क्या है G-7 समूह ?
यह एक अतंर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना साल 1975 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर संबंधित समस्याओं को हल करना तथा मदद करना है। इसमें यूके, अमेरिका, इटली, जापान, कनाड़ा, जर्मनी और फ्रॉंस शामिल हैं। इसका कोई औपचारिक चार्टर अथवा सचिवालय नहीं है। सभी जी-7 देश जी-20 में शामिल हैं, भारत भी जी-20 देशों में शामिल है।
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