UAE: हाल ही में आज UAE (United Arab Emirates) के विदेश मंत्री व अंतराष्ट्रीय सहयोगी मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद नाहयान भारत की 2 दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं। उनके साथ ही एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल भी भारत आ रहा है। दरअसल, भारतीय विदेश मंत्रालय ने सूचना जारी करते हुए बताया कि नाहयान 21 व 22 नवंबर को भारत के 2 दिवसीय आधिकारिक दौरे पर रहेंगे। यात्रा के दौरान नाहयान विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच नियमित विचार-विमर्श करने के लिए हो रही है। इसमें द्विपक्षीय बातचीत के साथ-साथ परस्पर हित के वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।
कैसे हैं भारत-यूएई संबंध ?
भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने साल 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। साल 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात यात्रा ने दोनों देशों के बीच एक नई रणनीतिक साझेदारी की शुरूआत के रूप में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान किया।
वहीं, साल 2017 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में UAE के क्राउन प्रिंस आए। इस दौरान सहमति बनी कि द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लेवल तक उन्नत किया जाए। इस भावना ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए वार्ता शुरू करने को गति प्रदान की। वित्तीय वर् 2021-22 के पहले 9 माह में भारत और यूएई का कुल उत्पाद व्यापार 52.76 बिलियन डॉलर मूल्य का रहा है, जो यूएई को भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनाता है।
यूएई का आर्थिक महत्व क्या है ?
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) न केवल मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया के संदर्भ में, बल्कि विश्व स्तर पर वह एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र के रूप में उभरा है। इस देश की रणनीतिक स्थिति के कारण इसका उभार एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र के रूप में हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात ने अपने ‘विजन 2021’ के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने तथा तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।
निर्यात में भारत की नई शक्ति के साथ UAE जैसे महत्वपूर्ण देश के साथ एक व्यापार समझौते का होना भारत के विकास की गति को बनाए रखने में मदद करेगा। इसके साथ ही भारत और UAE दोनों ही कई महत्वपूर्ण देशों के साथ FTAs को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। न सिर्फ इन दोनों देशों की कंपनियां बल्कि अन्य भौगोलिक क्षेत्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी यूएई और भारत को निवेश के लिए एक आकर्षक बाजार के रूप में देख सकती हैं। इसके अलावा यूएई कई क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों का एक पक्षधर है, जिसमें खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council-GCC) देश भी शामिल हैं।
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