Sanjay Raut: दरअसल, पात्रा भूमि घोटाले के आरोप में अब तक बंद शिवसेना नेता व राज्यसभा सांसद Sanjay Raut ने बड़ा खुलासा किया है। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने यह दावा किया कि, राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और शिवसेना के बीच हुए समझौते के तहत एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना था। अपने एक इंटरव्यू के दौरान हुई बातचीत में राउत ने कहा – ‘यदि भाजपा ने एकीकृत शिवसेना के साथ हुए गठबंधन का सम्मान किया होता तो एकनाथ शिंदे को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जाना तय था।
शिवसेना व भाजपा का मूल DNA हिंदुत्व : राउत
उन्होंने बताया कि, चुनाव से पहले हमारी शिवसेना पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था। इस समझौते में यह तय किया गया था कि जहां जनादेश मिलेगा 50 :50 के आधार पर सत्ता साझा की जाएगी। उन्होंने कहा, हम हिंदुत्व को आगे लेजाना चाहते थे, जो दोनों पार्टियों का मूल DNA है। राउत ने कहा- एक शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पार्टी का ही था। यदि भाजपा अपने वादे से मुकरती नहीं, तो एकशिंदे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होते। उन्होंने कहा, ‘असली शिवसेना तोड़ने के बाद हमारा चिन्ह नष्ट करने के बाद भाजपा पुराने समझौते को आगे लेकर गई है। आज उस व्यक्ति को ही आपने CM बनाया है। भाजपा अपने वादे पर कायम रहती तो उसी समय एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद पर पहुंच गए होते।
केवल विपक्षियों पर मनी लॉन्ड्रिंंग केस क्यों?
संजय राउत ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर भी खुलकर जवाब दिया है। उन्होंने कहा, क्या केवल विपक्ष में ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले है? ऐसा क्यों है कि इन मामलों में केवल विपक्षी पार्टी के लोगों का नाम लिया जाता है? भाजपा या उनके राज्यों में किसी का भी नाम नहीं लिया गया है, ऐसा क्यों? उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राहुल और सोनिया गांधी जैसे लोगों का ही नाम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लिया है। केवल विपक्षी पार्टियों के खिलाफ ही ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं।
बागी विधायक जरूर लौटेंगे :
शिवसेना नेता Sanjay Raut ने दावा किया है कि कुछ बागी विधायक पार्टी में वापस लौट आएंगे। उन्होंने कहा- शिंदे गुट में गए विधायक अब पार्टी से बगावत करने का कारण बता रहे। मुझे विश्वास है कि कई विधायक वापस लौट आएंगे। इसके साथ ही उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों पर भी अपने विचार रखे। राउत ने बाले, ऐसे सभी मामलों की जांच संयुक्त संसदीय समिति को करनी चाहिए।
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