Rupee vs Dollar 2023: साल 2022 अलविदा होने वाला है, वहीं नया साल प्रवेश करने को तैयार है। इस दौरान सब लोग अपना निर्धारित व्यौरा चेक करते हैं। ऐसे में इस बात पर भी चर्चा करना बनता है कि बीते साल में लगातार नीचे की ओर फिसलने वाली भारतीय मुद्रा रूपये की चाल डॉलर के मुकाबले आगामी साल में कैसी रहेगी? मुद्रा बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2023 के पहले 6 महीनों के दौरान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण रूपये के बाजार में भारतीय मुद्रा में उठा-पटक देखने को मिल सकती है। जानकारों को मानना है कि रूपये की गिरावट में वैश्विक मंदी और कोविड जैसे कारक जिम्मेदार रह सकते हैं।
क्या है विशेषज्ञों की राय ?
साल 2023 में रूपये में उतार-चढ़ाव की संभावना :
कोटक सिक्योरिटीज के वीपी अनिंद्य बनर्जी के के मुताबिक, वर्ष 2023 के पहले 6 महीनों के दौरान वैश्विक बाजार मंदी की अनिश्चिताओं के कारण रूपया प्रभावित रह सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय बाजार की आर्थिक हालत 2023 में काफी हद तक सुधर सकती है, क्योंकि फिलहाल ऊर्जा कीमतों के मामले में अभी बुरा होता नहीं दिख रहा है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युध्द की समाप्ति की खबर बाजार के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक चिंताओं के कारण घरेलू मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
साल 2023 में रूपये की संभावित कारोबार रेंज :
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, साल 2023 में रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79-85 रूपये के विस्तृत रेंज में कारोबार कर सकता है। आगामी साल के पहले 6 महीनों के दौरान रूपये की कारोबार दर 80 से 82 के बीच देखने को मिल सकती है। वहीं कोटक सिक्योरिटीज के बनर्जी के मुताबिक, साल के दूसरी छमाही में केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज वृध्दि दर में कटौती करने और महंगाई से राहत के कारण रूपये में मजबूती आ सकती है। इसी के साथ डॉलर में कमजोरी दिखाई पड़ सकती है। HDFC सिक्योरिटीज रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के मुताबिक, मौद्रिक पॉलिसी में लचीलापन, विदेशी पूंजी का आना, भारतीय बॉन्ड के ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में जुड़ना इत्यादि कारण रूपये की मजबूती में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।
रूपया मजबूत हुआ तो विदेशी मुद्रा भंडार में होगा इजाफा :
विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि रूपये की मजबूती से केंद्रीय बैंक को कोविड महामारी के दौरान दिखे स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार पहुंचाने में सहायता मिल सकती है। IDFC फर्स्ट बैंक के इकोनॉमिक्स रिसर्च के अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने एक रिपोर्ट में कहा कि, ”RBI फॉरेक्स रिजर्व बढ़ाने के लिए डॉलर की कमजोरी की समयावधि का उपयोग कर सकता है। यह रूपये को 81 के स्तर से नीचे गिरने से रोक देगा”। उन्होंने आगे कहा कि बाजार की आशंकाओं और फेड का रूख रूपये का निचला स्तर 83.50 रूपये तक सीमित कर सकता है। गुप्ता ने कहा, रूपये को तेजी से गिरने से बचाने के लिए RBI पिछले कुछ महीनों से विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है। इस दौरान, केंद्रीय बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा कोष से भारी मात्रा में खर्च किया है।
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