Religion Conversion: सर्वोच्चतम न्यायालय ने देश में ‘Religion Conversion‘ के मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए, इसे गंभीर मुद्दा बताया है। शीर्ष न्यायालय ने इस मामले को राजनैतिक रंग ना देने की बात कही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। जिसमें लालच देकर एवं जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की गई है। संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से जवाब मांगा है। तमिलनाडू सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन भी इस दौरान कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने याचिका को राजनैतिक से प्रेरित बताया है।
अश्विन कुमार ने दायर की याचिका:
आपको बता दें कि वकील अश्विन कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसमें मांग की गई थी कि, छल या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ केंद्र एवं राज्य सरकारें सख्त कदम उठाएं। हाल ही में गुजरात सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन से पहले जिलाधिकारी की इजाजत को अनिवार्य करने वाला कानून बनाया था।हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने इस कानून को स्टे कर दिया था। जिसके बाद इस स्टे को हटवाने के लिए गुजरात सरकार ने SC का दरवाजा खटखटाया था। इस दौरान गुजरात सरकार ने कहा था कि धर्म की स्वतंत्रता में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं हैं।
सुप्रीमकोर्ट का निर्देश ?
न्यायामूर्ति एमआर शाह और न्यायामूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से कहा कि हम चाहते हैं कि, यदि बलपूर्वक या फिर लालच से धर्म परिवर्तन हो रहे हैं। तो इसका पता लगया जाना आवश्यक है। इसका पता जल्द ही लगाकर, ऐसा होने से रोका जाना चाहिए। साथ ही इसमें सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए। इस मामले में केंद्र सरकार मदद करे। हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने बल पूर्वक धर्म परिवर्तन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए केंद्र से इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
ऐसे में तमिलनाडू सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन कोर्ट में पेश हुए और याचिका को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तमिलनाडू में इस तरह के ‘Religion Conversion’ का सवाल ही नहीं है। इस पर सुप्रीमकोर्ट की बेंच ने आपत्ति जाताते हुए कहा कि, ”कोर्ट की सुनवाई को अन्य मामलों की तरफ मोड़ने की कोशिश मत कीजिए। हम पूरे देश को लेकर चिंतित हैं, अगर आपके राज्य में हो रहा है तो यह बुरा है, यदि नहीं हो रहा तो अच्छी बात है।” इस मामले को राज्य को निशाना बनाने के तौर पर मत देखिए।
क्या है ‘लावण्या मामला’?
तमिलनाडू के तंजावुर की 17 साल की छात्रा लावण्या ने इस पिछली साल 19 जनवरी को कीटनाशक पी कर आत्महत्या कर ली थी। इससे ठी पहले उसने वीडिया बनाया कहा था कि, उसका स्कूल ‘सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी’ उस पर ईसाई बनने के लिए दबाव बना रहा है। इसके लिए लगातार किए जा रहे उत्पीड़न से परेशान होकर वह अपनी जान दे रही है। इस मामले की जांच CBI द्वारा की जा रही थी।
याचिका में कहा गया है कि, जबरन धर्मांतरण पूरे देश की समस्या है। इसे तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। याचिका में न्याय आयोग से भी रिपोर्ट व विधेयक तैयार कराने की मांग की है। जिसमें डरा-धमकाकर अथवा लालच देकर धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर आगामी 7 फरवरी को सुनवाई करेगा।
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