RBI : रिजर्व बैाक ऑफ इंडिया की तमाम कोशिशों के बावजूद मंहगाई लगातार 9वें माह संतोषजनक स्तर से ऊपर है। अब भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार को सितंबर माह की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए इसका कारण विस्तार से बताना होगा। रिपोर्ट में RBI केंद्र सरकार को बताऐगा कि मंहगाई को निर्धारित दायरे में क्यों नहीं रखा जा सका। तथा इसे काबू में लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है। प्रस्तुत रिपोर्ट के आंकड़ो के मुताबिक, प. बंगाल, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश में खुदरा मंहगाई दर सबसे ज्यादा रही। इन राज्यों में यह दर लगभग 8.06% से लेकर 9.44% के बीच रही।
मंहगाई नियंत्रण: RBI की जिम्मेदारी
सबसे खास बात यह है कि 2016 में मौद्रिक नीति की रूपरेखा प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार होगा, जब RBI को रिपोर्ट के जरिए सरकार को अपने कदमों की जानकारी देनी होगी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय मंत्रालय (NSO) के अनुसार, केवल 6 वस्तुओं के दाम अगस्त माह के मुकाबले सितंबर में घटे है। भारत के अंदर मंहगाई नियंत्रण की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपी गई है। RBI को खुदरा मुद्रस्फीति की दर में 2 प्रतिशत की घटत-बढ़त के साथ 4 प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली है।
सितंबर में 5 महीने के पीक पर मंहगाई, खाद्य-पदार्थों पर ज्यादा असर
खाद्य-पदार्थों की वस्तुएं मंहगी होने से खुदरा मंहगाई दर सितंबर माह में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जो इस साल अप्रैल के बाद 5 महीने का उच्च स्तर है। उस समय खुदरा (फुटकर) कीमतों पर आधारित (CPI) महंगाई 7.79 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मंहगाई की दर सितंबर में लगातार 9वें महीने आरबीआई के ऊपरी दायरे 6 प्रतिशत से अधिक रही। अगस्त में यह 7 प्रतिशत तथा पिछले वर्ष सितंबर में 4.35 प्रतिशत थी। खाने-पीने की वस्तुओं में मंहगाई सितंबर में 8.60 फीसदी पहुंच गई, जो अगस्त में 7.62 फीसदी रही थी। केंद्र सरकार ने आरबीआई को खुदरा मंहगाई को 2 से लेकर 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है।
क्या है मुद्रस्फीति नियम?, औद्योगिक उत्पादन में कमी
रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत यदि मुद्रस्फीति के लिए तय लक्ष्य को लगातार 3 तिमाहियों तक RBI द्वारा हासिल नहीं किया जा सका, तो RBI को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देनी होती है।
विनिर्माण व खनन क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन क्षमता में अगस्त में 0.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इससे पहले फरवरी, 2021 में औद्योगिक उत्पादन 3.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इस साल जुलाई में 2.2 फीसदी तथा बीते साल अगस्त में 13 फीसदी की बढ़त रिकॉर्ड की गई थी।
निकट भविष्य में मंहगाई बढ़ने के आसार
खुदरा मंहगाई दर सितंबर माह में बढ़कर 7.41 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जो अनुमान से ज्यादा रही। जानकारों ने अधिकतम खुदरा मंहगाई दर 7.30 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया था। राष्ट्रीय सांख्यिकीय मंत्रायल की माने तो सिर्फ 6 वस्तुओं के दाम अगस्त के मुकाबले सितंबर माह में घटे हैं।
दूसरी तरफ, अन्य सभी वस्तुओं की कीमतों में तेजी देखी गई है। जिसके कारण सितंबार माह में खुदरा मंहगाई अनुमान से अधिक रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्शशास्त्री श्री मदन सबनवीस ने बताया है कि, खाद्य-पदार्थों में निकट भविष्य में मंहगाई और अधिक बढ़ने की संभावना है। क्योंकि खरीफ की फसल में कम उत्पादन हुआ है। मुख्यत: चावल, दाल और तिलहन का उत्पादन इस बार अधिक प्रभावित हुआ है।
अगस्त-सितंबर में क्रमश: मंहगाई प्रतिशत – अगस्त से सितंबर में अनाज- 9.57% से 11.53%, दूध- 6.39% से 7.13% सब्जी- 13.23% से 18.05%, कपड़ा – 9.58% से 9.90% , मसाले – 14.90% से 16.88%, स्वास्थ्य – 5.43% से 5.52% बढा। जबकि सिर्फ तेल-वसा, ईंधन-बिजली, चीना, रिक्रिएशन, अम्यूजमेंड, फल और पर्सनल केयर की चीजें ही अगस्त के मुकाबले सितंबर में घटी हैं।
IIP : 5 महीने में 7.7 फीसदी बढ़ा
चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों यानी अप्रैल से अगस्त के बीच औRBIद्योगिक उत्पादन 7.7 फीसदी बढ़ा है। जबकि पिछले वित्त वर्ष, समान अवधि में यह वृध्दि दर 29 फीसदी रही थी। आंकड़ों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में इस साल अगस्त माह में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल इसमें अगस्त में 11.1 की वृध्दि हुई थी। इस साल खनन क्षेत्र में 3.9 की गिरावट, बिजली क्षेत्र में 1.4 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में बिजली क्षेत्र में 16 प्रतिशत की बड़ी वृध्दि दर्ज की गई थी।
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