Rajasthan: देश के 12 फीसदी नमक की पैदावार Rajasthan के सांभर झील में होती है। यह सांभर झील देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। जिससे प्रत्येक वर्ष करीब 2,10,000 टन से ज्यादा नमक का उत्पादन किया जाता है। इसके बाद इस नमक को हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों में आयात किया जाता है। प्रदेश में नमक का सबसे अधिक उत्पादन नावां में होता है, जहां प्राकृतिक तरीके से नमक बनाया जााता है। लेकिन क्या आप जानते है कि, यहां के मजदूरों की सबसे बड़ी बिडंबना क्या है? जो मजदूर हमें नमक बनाकर देते हैं जिसके बिना स्वाद की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उनको इसके लिए कितनी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं? तो चलिए जानते हैं…
कैसे बनता है नमक ?
राजस्थान में नमक का सबसे अधिक उत्पादन नावां में किया जाता है। यहां अंग्रेजों ने नमक का उत्पादन करने के लिए झील के किनारे रेल्वे लाइन बिछाई और सांभर साल्ट कंपनी द्वारा नमक का उत्पादन शुरू किया। यहां पर प्राकृतिक तरीके से नमक तैयार किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले उद्यमी जमीन पर क्यार और कंटासर बनाए जाते हैं।
उसके बाद बोरवेल का पानी कंटासर में डाला जाता है और पानी को एक से दूसरे कंटासर में घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया से पानी को लगभग 25 डिग्री तक खारा किया जाता है। पानी को क्यारियों में डाला जाता है, जिसके बाद तेज धूप के कारण पानी धीरे-धीरे नमक में तब्दील हो जाता है। इसके बाद इसे नमक प्लांट और रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है।
सांभर झील को लेकर वैज्ञानिक तर्क ?
सांभर झील समुद्र तल से करीब 1200 फीट ऊंचाई पर स्थित है। जब यह पूरी तरह भरी होती है, तब इसका क्षेत्रफल 90 वर्ग मील होता है। आपको बता दें कि, इस झील में मेंथा, रूपनगढ़, खारी और खंडेला नामक 4 नदियां आकर गिरती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अरावली के शिष्ट और नाइस के गर्तों में भरा हुआ गाद ही नमक का स्त्रोत है। इस गाद में घुलने वाला सोडियम बारिश के पानी में मिलकर नदियों के रास्ते झील में पहुंचता है और फिर नमक के रूप में परिवर्तित हो जात है। सांभर झील राजस्थान के 3 जिलों जयपुर, अजमेंर और नागौर में फैली हुई है। सांभर झील से नमक उत्पादन तो होता ही है। इसके साथ ही यह पर्यटन और फिल्म शूटिंग के लिए एक पसंदीदा जगह बन गई है।
क्या है सांभर झील को लेकर मान्यता ?
प्रदेश के जयपुर शहर से 100किमी. दूर सांभर कस्बे में शाकंभरी माता का मंदिर है। माना जाता है कि, यह मंदिर को करीब 2500 साल पुराना है। शाकंभरी माता चौहान वंश की कुलदेवी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। पौराणिक कथानुसार, एक समय में पृथ्वी पर 100 साल तक बारिश नहीं हुई। इससे अन्न-जल की कमी हो गई, तब मुनियों ने देवी भगवती की उपासना की। खुश होकर दुर्गा माता ने शाकंभरी रूप में अवतार लिया और फिर खूब वर्षा हुई, जिससे अन्न-जल का संकट खत्म हो गया। लेकिन कुछ समय बाद मां की कृपा से उत्पन्न हुई प्राकृतिक संपदा को लेकर झगड़े शुरू हो गए। इससे नाराज हुई मां शाकंभरी ने यहां की संपदा और खजाने को नमक में बदल दिया। इस तरह से ‘सांभर झील‘ की उत्पत्ति होना माना जाता है।
नमक बनाने वाले मजदूरों की बिड़म्बना ?
जिस नमक को दूरा देश स्वाद से खाता है उसे बनाने वाले मजदूरों का सच जानकार हैरान कर देने वाला है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जो मजदूर नमक बनाने का काम करते हैं। उनकी मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करना बहुत मुश्किल होता है। कई सालों तक नमक में काम करने की वजह से उनके शरीर के कुछ हिस्से जलते तक नहीं है। अंतिम संस्कार में उनके हांथो-पैरों को जलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें नमक डालकर दफन कर दिया जाता है।
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