Rahul’s Statement Analysis: गुजरात के चुनावी नतीजे जारी हुए आज दशक दिन हो चुके हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी की आंधी ने गुजरात से पूरे विपक्ष को खत्म कर दिया है। जहां कांग्रेस ने पिछली बार 77 सीटें जीती थीं, वह इस बार केवल 17 सीटों पर ही सिमट गई है। वहीं दूसरी ओर सरकार बनाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी के केवल 5 प्रत्याशी ही सीट पर विराजमान हो सके हैं। अब कांग्रेस के कर्ताधर्ता राहुल गांधी का एक बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अगर आम आदमी पार्टी (AAP) न होती तो कांग्रेस को गुजरात चुनाव में अपनी सत्ता स्थापित करने में आसानी होती।
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या AAP के न होने से कांग्रेस गुजरात में अपनी सत्ता बनाने में कामयाब हो पाती? तो चलिए कुछ आंकड़ों के जरिए इसे समझने की कोशिश करते हैं….
क्या बोले थे राहुल गांधी ?
कांग्रेस की भारत जोड़ा यात्रा के 100वें दिन राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने कहा कि, ”गुजरात में AAP प्रॉक्सी थी। यदि आप नहीं होती तो चुनाव में भाजपा को कांग्रेस ने हरा दिया होता”। उन्होंने कहा,’किसी को कांग्रेस को कमतर नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि विचारधारा पर आधारित और उस पर चलने वाली यही एकमात्र पार्टी है जो जारतीय जनता पार्टी को हरा सकती है’। राहुल गांधी ने भाजपा पर ‘फासीवादी पार्टी’ का आरोप लगाया है।
क्या बताते हैं आंकड़े ?
यदि हम गुजरात के आंकड़े देखें तो गुजरात चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 52.2% मत मिले हैं अर्थात् कुल मतदान का आधे से ज्यादा। वहीं कांग्रेस को कुल वैध मतों का 27.3% वोट मिला है। दूसरी तरफ सरकार बनाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी को 12.9% वोटों से संतोष करना पड़ा है। अन्य दलों को 4.34% वोट मिले हैं, 1.57% यानि 5 लाख लोगों ने नोटा चुना। ऐसे में यदि मान लिया जाए कि आम आदमी पार्टी चुनाव में नहीं उतरती तो उसका वोट शेयर कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाता, तो इस स्थिति में कांग्रेस को 40.2% वोट ही मिल पाते। अर्थात भाजपा को मिले कुल वोटों से 12.3% कम ही रहता।
अब सीटों का गणित जानते हैं :
चुनाव आयोग के आंकड़ों कि मुताबिक, इस बार भाजपा ने 156 सीटों पर जीत गदर्ज की है। जबकि कांग्रेस पार्टी 77 मेंसे 17 सीटों पर ही सिमट गई है। गुजरात चुनाव में 119 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी। वहीं इन्हीं सीटों में से 37 सीटों पर तीसरे स्थान पर AAP रही है। इनमें से 6 सीटों पर जीत हार का अंतर महज 5 हरात मतों का था। जबकि 10 सीटों पर 15 हजार का फासला था। अन्य सभी सीटों पर कांग्रेस 15 हजार से भी ज्यादा मतों से चुनाव हार गई। आंकड़े बताते हैं कि यदि आम आदमी पार्टी (AAP) गुजरात चुनाव में ना भी उतरती तो कांग्रेस को 10 से 20 सीटों पर ही फायदा मिल सकता था। लेकिन सरकार बनाना तब भी कांग्रेस के लिए काफी मुश्लिक होता।
वहीं यदि दूसरी संभावना की बात करें तो इस चुनाव में 35 सीटें ऐसी थीं, जिनपर AAP दूसरे स्थान पर थी। इनमें से 2 सीटों पर जीत-हार का अंतर महज 10 हजार वोटो से भी कम था। जबकि अन्य सभी पर 15 हजार से 1.25 लाख मतों से भी ज्यादा का अंतर था। अगर इन सीटों पर कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ती तो इनमें से 7 से 7 सीटें AAP को मिल सकती थी।
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