Polavaram Project: शीर्ष अदालत ने ‘Polavaram Project’ को दी गई में कथित उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति एमएम सुंदरेश की बेंच ने केंद्र सहित, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा सरकारों को नोटिस जारी किया है। जारी इस नोटिस में पीठ ने कहा है कि, फरवरी 2023 तक नोटिस को वापस किया जा सकता है। सर्वोच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के एक आदेश के खिलाफ अर्थशास्त्री पेंतापति पुल्लाराव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें NGT ने पुल्लाराव को अपनी याचिका के साथ शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था।
क्या है मामला ?
पेंतापति पुल्लाराव द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि, NGT ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जलशक्ति मंत्रालय, आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पोलावरम सिंचाई परियोजना प्राधिकरण की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर विचार किए बिना ही मामले को बंद कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि उल्लंघन से संबंधित आरोप पर्यावरण के उल्लंघन एवं परियोजना अधिकारियों द्वारा पर्यावरण मंजूरी में लगाए गए अनिवार्य तथा एहतियाती शर्तों को लागू नहीं करने से संबंधित हैं।
Supreme Court Notice to Centre on Plea Alleging Violations in Environmental Clearance to Polavaram Project#SupremeCourt #PolavaramProject #Centre #EnvironmentalClearance #AndhraPradeshhttps://t.co/mWrnL0qnwm
— LatestLY (@latestly) December 29, 2022
आंध्र प्रदेश CM और मोदी ने की पोलावरम पर चर्चा
आपको बता दें कि, इससे पहले बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर राज्य के कई मुद्दों पर चर्चा की। इसके साथ ही पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए लंबित धन जारी करने को दोहराया। उन्होंने कहा कि, राज्य ने अब तक पोलावरम परियोजना पर करीब 2,900 करोड़ खर्च किए हैं, जिनकी अभी तक केंद्र सरकार ने प्रतिपूर्ति नहीं की है। आंध्र प्रदेश के सीएम ने करीब 55,548 करोड़ रूपये आंकी गई पोलावरम परियोजना के संशोधित लागत अनुमान की शीघ्र स्वीकृति की मांग की है।
Today raised the issue of Polavaram project & how the Centre does not want to await the Hon'ble Supreme Court's verdict in this matter and is allowing construction which would destroy the habitat and livelihood of about 6000 tribals in Motu Tehsil of Malkangiri district in Odisha pic.twitter.com/Nne9F5Mrt4
— ଡ଼ଃ ସସ୍ମିତ ପାତ୍ର I Dr. Sasmit Patra (@sasmitpatra) July 26, 2019
शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी कर केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों से जल्द ही इस नोटिस को वापस करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी कानूनों को कठोरता से निवर्हन करने की सलाह दी है।
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