PFI Banned: आखिरकार केंद्र सरकार ने 5 सालों के लिए, देश विरोधी गतिविधियों एवं PM मोदी समेत नामचीन लोगों पर हमले तथा उनकी हत्या की साजिश रचने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI को Banकर दिया है। यह कट्टर इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) 2006 में बनने के बाद लगातार इस तरह के विवादों में घिरा रहा है। गृह मंत्रालय ने इस संगठन के खूनी खेल व काले कारनामें की लंबी फेहरिस्त भी जारी की है। इससे साफ पता चलता है कि यह तमिलनाडू, केरल और कर्नाटक समेत कई राज्यों में हुई नृशंस हत्याओं में लिप्त रहा है। PFI के संबंध खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) से भी जुड़े हुए हैं। इसका मकसद देश में भय पैदा करना था।
काटा था केरल में प्रोफेसर का हाथ
केरल में हुई 4 जुलाई 2010 की घटना में प्रोफेसर जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काटने में भी PFI का ही नाम सामने आया है। संगठन का मानना था कि जोसेफ ने कॉलेज की परीक्षा में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिससे PFI जोसेफ से खुन्नस खा के बैठा था। जिसका बदला लेने के लिए PFI के कार्यकताओं ने जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी थी। घटना के आरोपियों को NIA ने गिरफ्तार किया था।
रामलिंगम, रूद्रेश, पुजारी, नंदू, नेट्टारू की हत्याओं में हाथ
केंद्र सरकार की अधिसूचना से पता चला है कि पिछले महीनों में देश के विभिन्न प्रदेशों में हुई हत्याओं में PFI का हाथ रहा है। जिनमें केरल के अभिमन्यु की 2018 में, संजीथा की नवंबर 2021 में, नंदू की 2021 में तथा तमिलनाडू में रामलिंगम की 2019 में, शशि कुमार की 2016 में इसके साथ ही कर्नाटक में – शरथ की 2017 में, आर. रूदेश की 2016 में, प्रवीण पुजारी की 2016 में एवं प्रवीण नेट्टारू की 2022 में नृशंस हत्याओं में इसी संगठन का हाथ रहा है। हुई इन हत्याओं का एकमात्र उद्देश्य देश में अशांति तथा लोगों में खौफ पैदा करना था।
ईराक, सीरिया, अफगानिस्तान से PFI सदस्यों के घने संबंध
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन की गतिविधियों से ऐसे कई सबूत मिले हैं। जिनसे यह साफ पता चलता है कि यह देश में आतंकी कार्यों में लिप्त है। PFI के सदस्य सीरिया, ईराक एवं अफगानिस्तान में जाकर आईएसआईएस के आतंकी समूहों में शामिल हुए। कई वहां पर मारे गए एवं कुछ को विभिन्न राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया।
इसके आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के संबंध बांग्लादेश से हैं। यह संगठन देश में चंदे के माध्यम से पैसा एकत्रित कर कट्टरपंथी फैला रहा है। युवाओं में भ्रम पैदा करके उन्हें आतंकवाद में धकेल दिया जा रहा है।
कर्नाटक, यूपी, गुजरात सरकार ने की पाबंदी की सिफारिश
कर्नाटक, यूपी, गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से PFI पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगाने की मांग की है। केंद्र सरकार का कहना है कि यदि PFI के संगठनों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो ये अपनी विध्वंसक गतिविधियों से लोक व्यवस्था भंग कर लोगों में भ्रम पैदा कर देंगे। जिससे देश की सुख-शांति एवं राष्ट्र का संवैधानिक ढांचा कमजोर होगा।
एक ही सप्ताह में 2 बार छापे मारे, 300 से ज्यादा गिरफ्तार
आपको बताते चलें कि NIA और ED के साथ विभिन्न राज्यों की पुलिस ने PFI के खिलाफ देशभर में एक ही हफ्ते के भीतर कई जगह छापे मारकर 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। जिसमें 2 सितंबर को हुई छापेमारी में 106 PFI सदस्य एवं 27 सितंबर को हुई छापेमारी में 247 PFI सदस्य गिरफ्तार किए गए।
PFI के सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि PFI ने समाज के विभिन्न वर्गों, छात्रों, नौजवानों, युवाओं और कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए कई सहयोगी संगठनों की स्थापना की। जिसका मकसद अपना प्रभाव बढ़ाना तथा फंड एकत्रित करना रहा। जिन संगठनों पर पाबंदी लगाई गई है, उनमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन शामिल है।
केंद्र सरकार का कहना है, रिहैब इंडिया PFI के सदस्यों के माध्यम से धन जुटाता है। जबकि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पार इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन एवं केरल के कुछ सदस्य PFI के भी सदस्य हैं। PFI के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गनाइजेशन एवं नेशनल वीमेन फ्रंट की गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करते हैं। PFI के संबंध पूर्ववर्ती स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के सदस्यों से भी रहे थे। SIMI पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका था।
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