Patriarchy: आज हमारे देश भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी यहां के लोग ‘पितृसत्तात्मक समाज’ की व्यवस्था से पोषित हैं। आज भी महिलाओं के तमाम तरह के उत्पीड़नों को प्राकृतिक कहकर जायज ठहरा दिया जाता है। भारत में जन्म लेते ही यहां उनका Discrimination शुरू हो जाता है। यदि बेटा पैदा होता है तो ढोल-नगाड़े बजते है और बेटी के पैदा होने पर शोक मनाया जाता है। ऐसी ही ‘Patriarchy‘ से पीडि़त मानवता को शर्मसार करने वाली घटना उ.प्र. के रायबरेली स्थित लालगंज से आ रही है। जहां पांचवी बार बेटी के जन्म लेने से बौखलाए पिता ने मासूम के साथ क्रूरता कर जघन्य अपराध किया है।
क्या है मामला ?
मामला उत्तप्रदेश के रायबरेली स्थित लालगंज की है। जहां गंगापुर बरस गांव निवासी दूरपतिया (30) को प्रसव पीड़ा होने पर पति माधव ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था। उसके बाद मंगलवार की शाम करीब 5 बजे महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के जन्म की बात सुनते ही पिता ने अपना आपा खो दिया। और जब जच्चा-बच्चा को लेबर रूम से वार्ड लाया जा रहा था, तभी बच्ची के पिता ने मासूम के मुंह पर थूंक दिया। उसके बाद माधव ने बच्ची को कई थप्पड़ जड़े, वह उसे मारडालना चाहता था। वहां मौजूद लोग बच्ची को बचाने लगे तो वह उनसे हाथा-पाई करने लगा।
यह अमानवीय कृत्य ‘पितृसत्ता’ का ही परिणाम :
वार्ड में मचा हंगामा देखकर वहां तैनात चिकित्सक डॉ. दुर्गेश नंदिनी ने जब पुलिस बुलाने को कहा तब आरोपी भाग खड़ा हुआ। वार्ड में भर्ती अन्य लोगों ने बताया की जब प्रसूता के पति को ऐसा करने से मना किया तो वह हम पर ही हावी हो गया। उन्होंने बताया कि बच्ची के पैदा होने से दुखी माधव हमें गाली बकने लगा और चिल्लाने लगा। उसके बाद प्रसूता दूरपतिया ने बताया कि उसका पति बेटा चाहता था। लेकिन बेटी के पैदा हुई, जिससे वह नाराज है। CHC अधीक्षक डॉ. राजेश कुमार गौतम ने बताया कि आरोपी को इस अमानवीय कृत्य के लिए काफी फटकार लगाई गई। उसे अस्तपाल से बाहर भगा दिया गया।
भारत में Patriarchy की गहरी जड़े :
आपको बता दे कि ‘पितृसत्तात्मक समाज‘ की व्यवस्था वर्तमान में कोई नई चीज नहीं है। यह सदियों से चली आ रही, वैदिक, उत्त्तवैदिक, औपनिवैशिक भारत की कुप्रथा है, जिसे आधुनिक और समकालीन भारत में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। आज भी मुख्यता: महिलाओं को मात्र प्रजनन और घरेलू कार्यों के लिए उचित समझा जाता है। आज भी समकालीन भारतीय समाज में महिलाओं से संबंधित कई कुरीरियां मौजूद हैं। जैसे- कन्याभ्रूण हत्या, जबरन विवाह, घरेलू हिंसा, दहेज हत्या, लड़की को बोझ समझने की की रीति, संपत्ति में अधिकार न देना, वैवाहिक बलात्कार, बिना तलाक के त्याग देना इत्यादि बुराईयां पितृसत्तात्मक सोच का ही परिणाम हैं।
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