Oxfam Report: हाल ही में जारी ‘Oxfam Report‘ ने खुलासा किया है कि, भारत के सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है। वहीं दूसरी ओर देश की आधी आबादी से अधिक लोग देश की कुल संपत्ति के महज 3% में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2022 में महामारी शुरू होने के बाद से भारत में अरबपतियों की संपत्ति में वास्तविक रूप से 121% अथवा प्रतिदिन ₹3608 करोड़ रूपये की वृध्दि दर्ज की गई है। वहीं दूसरी तरफ देश का गरीब आदमी GST की में पिसा जा रहा है। GST चुकाने का भार देश के आम आदमी पर ज्यादा पड़ा है।
क्या कहती है Oxfam रिपोर्ट ?
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक मे पहले दिन मानवाधिकार ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने वार्षिक असमानता रिपोर्ट का भारत सप्लीमेंट जारी किया। जिसमें कहा गया है कि भारत के 10 सबसे बड़े अरबपतियों पर 5% कर लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के अभियान के लिए पूरी राशि जुटाई जा सकती है। जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है, ”सिर्फ एक अरबपति गौतम अडाणी पर 2017 से 2021 के दौरान अवास्तविक लाभ पर एकमुश्त कर से 1.79 लाख करोड़ रूपये जुटाए जा सकते हैं। यह राशि 1 वर्ष के लिए 50 लाख से अधिक भारतीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को रोजगार देने के लिए पर्याप्त है।”
सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट रिपोर्ट :
इस ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट‘ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, यदि भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर 2% की दर से एक बार कर लगाया जाता है तो इससे देश में कुपोषित लोगों के पोषण के लिए अगले 3 साल तक 40,423 करोड़ रूपये की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। आगे कहा गया है कि, ‘देश के 10 सर्वाधिक अमीर लोगों (1.34 लाख करोड़ रूपये) पर 5% का एकमुश्त कर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (86,200 करोड़) एवं आयुष विभाग (3,050 करोड़) की तरफ से वर्ष 2022-23 के लिए अनुमानित धन के 1.5 गुना से अधिक है।’
🔴नई रिपोर्ट !
ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट ‘सरवाईवल ऑफ़ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी’ बताती है कि भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति वर्ष 2022 में 46 प्रतिशत बढ़ी है।
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— Oxfam India (@OxfamIndia) January 16, 2023
क्या बोले ऑक्सफैम CEO ?
ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट पर बात करते हुए ऑक्सफैम इंडिया के CEO अमिताभ बेहर ने कहा, ”देश के हाशिए पर पड़े दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक एक ऐसी प्रणाली में पीडि़त के रूप में फंसे हुए हैं, जिसमें केवल अमीरों का हित हो रहा है”। उन्होंने कहा, ”गरीब लोग अधिक कर का भुगतान कर रहे हैं, अमीरों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि अमीरो पर कर लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे उचित हिस्से का भुगतान करें।”
आमदनी पर लैंगिक असमानता :
लैंगिक असमानता पर रिपोर्ट ने कहा है कि पुरूष श्रमिकों को मिलने वाले हर 1 रूपये के मुकाबले महिला श्रमिकों को महज 63 पैसे ही मिले हैं। अनुसूचित जातियों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए, यह अंतर और भी अधिक हो गया है। अनुसूचित जातियों ने सामाजिक समूहों की कमाई का 55% कमाया, और बाद में 2018 एवं 2019 के बीच शहरी कमाई का केवल आधा हिस्सा उनके पास गया। ऑक्सफैम ने कहा है कि, यह रिपोर्ट भारत में असमानता के प्रभाव का पता लगाने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक जानकारी का मिश्रण है।
देश के गरीबों ने GST का 64% अदा किया :
Oxfam रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर 2022 में महामारी शुरू होने के बाद से भाारत में अरबपतियों की संपत्ति में वास्विक रूप से 121% अथवा हर दिन 3,608 करोड़ रूपये की वृध्दि देखी गई है। दूसरी ओर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कुल 14.83 लाख करोड़ रूये का लगभग 64% भुगतान 2021-22 में नीचे की 50 प्रतिशत आबादी द्वारा किया गया। जिसमें शीर्ष 10% लोगों द्वारा केवल 3% ही भुगतान किया गया।
ऑक्सफैम CEO बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से संपत्ति कर और विरासत कर जैसे प्रगतिशील कर उपायों को लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये उपाय असमानता और गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने में ऐतिहासिक रूप से प्रभावी साबित होंगे।
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