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National Education Day: राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस आज, इस मौके पर क्‍या बोले शिक्षा मंत्री? जानिए सबकुछ…

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National Education Day

National Education Day: भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को National Education Day के रूप में प्रत्‍येक वर्ष 11 नवंबर को मनाया जाता है। जीवन में शिक्षा का महत्‍व सबसे अहम होता है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति के जीवन की‍ निर्भरता उसकी शिक्षा पर टिकी होती है। किसी भी व्‍यक्ति को जैसे शिक्षा दी जाती है, उसका जीवन भी उसी के अनुसार चलता है। आज हम पूरे देश में राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस मना रहे हैं। आज के दिन सम्‍पूर्ण भारत में शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने एवं प्रत्‍येक व्‍यक्ति को साक्षर बनाने के लिए विभिन्‍न कार्यक्रम और अभियान आयोजित किए जाते हैं।

राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस 2022 की थीम क्‍या है ?

राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस 2022 की थीम – ”पाठ्यक्रम बदलना और शिक्षा को बदलना” है। शिक्षा मंत्रालय प्रत्‍येक वर्ष एक अलग फोकस क्षेत्र निर्धारित करता है। मौलाना आजाद के अनुसार स्‍कूल प्रयोगशालाएं हैं, जो देश के भावी नागरिक तैयार करती है। उन्‍होंने कई संस्‍थानों जैसे – ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और साहित्‍य अकादमी की स्‍थापना की थी।

मौलाना आजाद का कई शैक्षणिक संस्‍थानों- विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग, माध्‍यमिक शिक्षा आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एवं अन्‍य नि‍कायों की स्‍थापना में विशेष योगदान रहा है। उनके कार्यकाल में जामिया मिलिया इस्‍लामिया एवं 1951 में पहला भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्‍थान IIT खड़गपुर जैसे संस्‍थानों की स्‍थापना की गई। उन्‍होंने 1948 में अखिल भारतीय शिक्षा के एक सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा- ” हमें एक पल के लिए नहीं भूलना चाहिए, कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्‍त करना प्रत्‍येक व्‍यक्ति का जन्‍मसिध्‍द अधिकार है, जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्‍यों का पूरी तरह से निवर्हन नहीं कर सकता”।

पहली बार कब मनाया गया ?

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने साल 2008 में प्रत्‍येक वर्ष 11 नवंबर को राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। तब से प्रत्‍येक वर्ष 11 नवंबर को राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। मौलाना आजादा को मरणोपरांत 1992 में देश के सर्वोच्‍च नागरिक पुरूस्‍कार ‘भारत रात्‍न’ से सम्‍मानित किया गया।

पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का मुख्‍य उद्देश्‍य स्‍वतंत्रता के बाद भारत के ग्रामीण गरीबों और लड़कियों को शिक्षित करना था। शिक्षा सलाहकार बोर्ड के अध्‍यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्‍होंने वयस्‍क साक्षरता, 14 वर्ष तक के बच्‍चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, माध्‍यमिक शिक्षा और व्‍यावसायिक प्रशिक्षण  तथा सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा पर जोर दिया।

मौलाना आजाद की जयंती पर ही क्‍यों ?

मौलाना अबुल कलाम आजाद का पूरा नाम मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अ‍हमत बिन खैरूद्दीन अल हुसैनी था। उनका जन्‍म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। मौलाना आजाद स्‍वतंत्र भारत के प्रथम PM जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक पहले शिक्षा मंत्री थे। मौलाना आजाद न केवल एक विद्वान थे बल्कि वह शिक्षा के माध्‍यम से राष्ट्र  निर्माण के लिए प्रतिबध्‍द थे। इसके साथ ही वह एक समाज सुधारक एवं स्‍वतंत्रता सेनानी के रूप में भी जाने जाते थे। उन्‍होंने देश के IIT और कई प्रमुख संस्‍थाओं की बेहतरी के लिए काम किया था। वह एक कवि, विद्वान, पत्रकार और स्‍वतंत्रता सेनानी थे। उन्‍होंने कई नेताओं के साथ राष्‍ट्र निर्माण में योगदान दिया, लेकिन भारत के लिए उनका सबसे बड़ा उपहार शिक्षा में योगदान रहा है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने कहा –

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने National Education Day के अवसत पर ट्वीट करते हुए कहा कि, नई शिक्षा नीति (NEP) राष्‍ट्रीय विकस के लिए एक ‘महायज्ञ’ है। उन्‍होंंने कहा कि देखें कि कैसे  New Education Policy (NEP) एक विकसित भारत के लिए एक मजबूत मंच तैयार कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि वैश्विक परिपेक्ष्‍य को आत्‍मसात करते हुए ‘भारतीयता’ में निहित, NEP 2020 कौशल, ज्ञान, रचनात्‍मकता और सरलता से सीखने के रास्‍ते के साथ में 21वीं सदी के कार्यबल को सशक्‍त बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग हैं। राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस देश की समृध्‍द भाषाई परंपराओं का जश्‍न मनाना, मातृभाषा में सीखने को बढ़ावा देना, नवाचार एवं अनुसंधान कार्यों पर जोर देना NEP 2020 भारत को एक महाशक्ति में बदलने का मार्ग है।

 

Kusum
I am a Hindi content writer.

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