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Modern Agriculture: आधुनिक कृषि में छिपी पर्यावरण और जीवों के विनाश की कहानी

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Modern Agriculture

Modern Agriculture: माना जाता है कि संपूर्ण ब्रम्‍हाण्‍ड में मात्र पृथ्‍वी ही एक ऐसा गृह है, जहां जीवन संभव है। प्र‍कृति हम सभी जीव-जंतुओं के साथ समान व्‍यवहार करती है, अथवा यूं कहें कि हम सभी जीव-जन्‍तुओं का इस पर बराबर अधिकार है।  लेकिन बड़ी बिडम्‍बना है कि पृथ्‍वी का सबसे अधिक बुध्दिजीवी, इंसान ने अपनी सुख-सुविधाओं को बढ़ाने के लिए इन सभी जीवों के अधिकारों का हनन किया है। हनन ही नहीं अपितु इस धरती से विलुप्‍त होने पर मजबूर किया है। चिपकों आंदोलन के प्रणेता और पर्यावरण की अलख जगाने वाले दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा कहते हैं कि आदमी ने जिस दिन पहली बार धरती पर हल चलाया था, उसी दिन उसने अपने विनाश की कहानी लिख दी थी। 

क्‍या कहती है वैज्ञानिकों की रिपोर्ट ?

कृषि केवल मानव विनाश की ही कहानी नहीं, बल्कि जीवों के विनाश की कहानी भी लिख रही है। यह तथ्‍य अभी हाल ही में प़न: उजागर हुआ है। हाल ही में अमेरिका के सुप्रसिध्‍द पत्रकार व लेखक स्‍कॉट कैमेरॉन पेले ने कुछ वैज्ञानिकों द्वारा जीवों के छठे सामूहिक विलुप्‍तीकरण से संबंधित अध्‍ययनों और विचारों पर एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें जिन मानवीय गतिविधियों को पृथ्‍वी पर मौजूदा सामूहिक जीव विनाश का कारण बताया गया है उनके केंद्र में कृषि है। अब तक इस पृथ्‍वी के इतिहास में जीव प्रजातियों की पांच बड़ी सामूहिक मौतें हुई हैं, जिनमें उनका अस्तित्‍व हमेशा के लिए मिट गया। जीवों का 5वां समूहिक विलोपन (मास एक्‍सटिंक्‍श) लगभग 6,6 करोड़ साल पहले हुआ था। जब एक क्षुद्रग्रह ने पृथ्‍वी से डायनासोरों का सफाया कर दिया था। 

क्‍या है आधुनिक कृषि ?

ऐसी नवप्रवर्तन शैली एवं कृषि पध्‍दति जिसमें स्‍वदेशी ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, आधुनिक उपकरण तथा प्रत्‍येक पहलु जैसे खेत का चुनाव, खेत की तैयारी, खरपतवार नियंत्रण, पौध संरक्षण, फसलोत्‍तर प्रबंधन फसल की कटाई आदि जैसी महत्‍वपूर्ण कृषि पध्‍दतियों के उपयोग को आधुनिकी कृषि कहते हैं। आधुनिक कृषि में संसाधनों का अनुकूलन होता है, जिससे किसानों की दक्षता और उत्‍पादकता बढ़ती है। .वैज्ञानिकों के अनुसार, वायु प्रदूषण, जीवों के प्राकृतिक आवास का विनाश, संसाधनों का अत्‍याधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक ही जीव विनाश का कारण हैं। वहीं वर्तमान कालखंड में जिस मानवीय गतिविधियों ने छठे सामूहिक जीव विलुप्‍तीकरण को हवा दी है, वह आधुनिक कृषि है। 

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ ?

मैक्सिकों के पारिस्थितिकी विशेषज्ञ गेरार्डो सेबलोस का क‍हना है कि 50 साल पहले महासागरों में जितनी विशालकाय मछलियां थीं, उनमें से केवल 2% ही शेष बची हैं। धरती पर पाए जाने वाले सभी जंतुओं में से लगभग 70% जीव-जंतुओं को हमने खो दिया है। साल 1918 के बाद से सभी बड़े जानवरों में से लगभग 70% विलुप्‍त हो चुके हैं। हमने 2000 के बाद से दक्षिण पूर्व एशिया के उष्‍णकटिबंधीय वनों का 90% हिस्‍सा खो दिया है। जीवों की सामूहिक विलांपनों की पिछली 5 घटनाओं और अब जारी 6वीं विनाशकारी घटना में अंतर है कि उन्‍हें होने में लाखों साल लगे थे। लेकिन वर्तमान घटना इतनी तेजी से घट रही हैं कि अब केवल 2 से 3 दशकों में ही अनेक प्रजातियों के पास जीवित रहने के लिए पर्याप्‍त समय नही होगा। 

जीवों के 6वें विलोपन में कृषि मुख्‍य कारक :

विश्‍व वन्‍यजीव कोष की मुख्‍य वैज्ञानिक और वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष रबेका शॉ आश्चर्य व्‍यक्‍त करती हैं कि साल 2018 से 2020 के बीच वन्‍यजीवों की आबादी 64% से 68% तक समाप्‍त हो गई है। वे वन्‍यजीवों के उजड़ने के पीछे सबसे बड़ा कारक Modern Agriculture को मानती हैं। जैसे उष्‍णकटिबंधीय वर्षावनों को सोयाबीन और मक्‍का की खेती ने उजाड़ा है। यह वन ग्रह की जलवायु और मौसम के पैटर्न में‍ स्थिरता लाने के लिए बुनियादी पारिस्थितिक सेवाएं देते हैं।

प्राकृतिक परिवेश जिनमें अधिकांश जीव जगत फूलता-फलता है, जिनसे पारिस्थिक संतुलन कायम रहता है, वे सब कृषि भूमि की भेंट चढ़ रहे हैं, जिस पर केवल मानवीय प्रजाति का ही एकाधिाकर है। इस ग्रह में उपलब्‍ध जल का केवल 2.5% ही पीने व घरेलू कार्यो के योग्‍य है। लेकिन इसका 70% से अधिक हिस्‍सा फसलों की सिंचाई में ही उपयोग हो जाता है। आधुनिक कृषि में जिन खाद्य फसलों को बोया जाता है, उनकी प्‍यास कभी नहीं बुझती।

चूंकि कृषि पर ही संपूर्ण मानवता का वर्तमान और भविष्‍य निर्भर है, इसलिए Modern Agriculture नीतियों में संपूर्ण परिवर्तन एक ही झटके में नहीं किया जा सकता। लेकिन हमें धीरे-धीरे सुनिश्चित करना होगा कि हम ऐसे खाद्यान्‍नों का उपयोग करें, जो ग्रह के अनुकूल हों और जिन्‍हें उगाने में जीव प्रजातियों पर बुरा प्रभाव न पड़े। इसके साथ ही हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम खाद्य पदार्थों को बिल्‍कुल नष्‍ट न करें। क्‍या आप जानते हैं कि अभी सभी खाद्य पदार्थोा का 40% नष्‍ट हो जाता है और उस भोजन को उगाने के लिए प्रकृति को 40% अतिरिक्‍त ने बोझ उठाना पड़ता है। इसीलिए खाना बर्बाद नहीं करने से इतने क्षेत्र की प्र‍कृति अक्षुण रहेगी। 

Kusum
I am a Hindi content writer.

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