Metaverse: मेटावर्स को इंटरनेट की दुनिया का भविष्य माना जा रहा है। मुख्य प्रस्ताव के रूप में वर्चुअल रियलिटी के अनुभव के वादे वाला वेब 3.0 अब संघर्ष कर रहा है, जो कि अपने शुरूआती दौर में है। इसके शेयरों को फीचर करने के बाद ही इसे 4 बिलियन डॉलर से अधिक के राजस्व पर करीब 18 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ रहा है। जब फेसबुक के संस्थापक ने फेसबुक का नाम बदलकर मेटा किया, तब ज्यादातर लोगों ने पहली बार ‘Metaverse‘ शब्द के बारे में जाना। यह बात करीब 2 साल पुरानी है और अब मेटावर्स फेल होता नजर आ रहा है।
मंदी का प्रभाव ?
टेक कंपनियों में हो रही लगातार छंटनी आर्थिक मंदी की आशंका को उजागर करती है। ऐसे में इस साल VR हेडसेट्स डिवाइसेज के मार्केट पर भी बुरा असर पड़ रहा है। हालांकि, कंपनियां इस वर्ष भी अपने वर्चुअल रियलिटी प्रोडक्ट्स लॉन्च करने वाली हैं। जहां एपल अपने मिक्स्ड रियलिटी हेडसेट को लॉच करेगा, तो वहीं Sony का PlayStation और VR2 हेडसेट भी इसी वर्ष लॉन्च होने वाला है। हालांकि, ये दोनों प्रोडक्ट भी काफी मंहगे रहने वाले हैं।
VR हेडसेट्स की बिक्री में गिरावट क्यों ?
CCS Insight के आंकड़े बताते हैं कि, मेटावर्स में यूजर्स ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी हेडसेट की बिक्री में 12% की गिरावट देखी गई है। जोकि घटकर 96 लाख रह गई है। USA में भी VR हेडसेट्स की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। फर्म NPD Group के डाटा के मुताबिक, अमेरिका में VR हेडसेट्स की बिक्री में 2% की कमी आई है।
मेटा को आभाषी दुनिया मार्केट में सबसे बड़ा नाम माना जाता है, परन्तु कंपनी के VR हेडसेट्स मार्केट में अपनी पकड़ नहीं बना पा रहे हैं। मेटा कंपनी Quest 2 को 2020 में लाई थी, लेकिन 2 साल में ही इसकी बिक्री में भारी गिरावट देखी गई है। इसके अपग्रेडेशन में लाए गए Quest Pro को भी खास पसंद नहीं किया गया। क्योंकि इसकी कीमत 1100 डॉलर (90 हजार) से भी ज्यादा है, जोकि इसे महंगा प्रोडक्ट बनाती है।
आखिर मेटावर्स है क्या?
मेटा (फेसबुक) के CEO मार्क जुकरबर्ग ने साल 2021 के अक्टूबर में फेसबुक कंपनी का नाम बदलकर ‘मेटा’ रखा और कहा कि, हम चाहते हैं दुनिया हमें ‘मेटावर्स‘ के नाम से जानें। मेटावर्स का नाम भले ही लोगों ने साल 2021 में सुना हो लेकिन यह काफी पुराना शब्द है। नील स्टीफेंसन ने साल 1992 में अपने डायस्टोपियन उपन्यास ”स्नो क्रैश” में इस शब्द का जिक्र किया था।
स्टीफेंसन के उपन्यास में ‘Metaverse‘ का अर्थ एक ऐसी दुनिया से था जिसमें वीडियो गेम में डिजिटल वाले गैजेट जैसे हेडफोन और वर्चुअल रियलिटी की मदद से लोग आपस में कनेक्ट होते हैं। मेटावर्स एक ऐसी आभाषी दुनिया है, जो पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट पर निर्भर होती है। मेटावर्स में किसी गांव में बैठा छात्र दिल्ली के किसी कॉलेज में ठीक उसी प्रकार से क्लास ले सकता है। जैसा की वह क्लासरूम में बैठकर लेता है।
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