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Lula Da Silva: ब्राजीलियाई सत्‍ता पर वामपंथी ‘लूला’ की वासपी से क्‍यों बढ़ रहीं अमेरिका की चिंताएं? जानें

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Lula Da Silva

Lula Da Silva: हाल ही में बीते रविवार को ब्राजील चुनाव में जीत दर्ज करने वाले वामपंथी वर्कर्स पार्टी के नेता ‘Lula Da Silva‘ नए राष्‍ट्रपति बनने जा रहे हैं। लूला जनवरी 2023 में राष्‍ट्रपति पद संभालेंगे। जिसके साथ ही लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े देश ब्राजील में भी वामपंथी शासन कायम हो जाएगा। अंतराष्‍ट्रीय कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ‘ब्राजील में सत्‍ता परिवर्तन का प्रभाव ना सिर्फ इस देश में, बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जा सकेगा’। विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्राजील लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा देश है। इसकी ब्रिक्‍स तथा अंतर्राष्‍ट्रीय मामलों में महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिए बोल्‍सोनारो के हाथों से सत्‍ता निकलने और लूला के राष्‍ट्रपति बनने से कूटनीतिक मामलों में बड़ा फर्क आएगा।

कौन है Lula Da Silva?

इनका पूरा नाम Luiz Inácio Lula da Silva है। सिल्‍वा का जन्‍म एक अनपढ़ किसान परिवार में हुआ था, इसीलिए इनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। ये अपने मॉं- बाप की सातवीं संतान थे। उन्‍होंने महज 14 साल की उम्र में मेटलवर्कर बनने से पहले एक शूशीन बॉय और मूंगफली विक्रेता के रूप में काम किया था। 77 वर्षीय सिल्‍वा को 2018 में भ्रष्‍टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 2 साल की जेल भी हुई थी।

कूट‍नीति विशेषज्ञ पैगलियारिनी ने लिखा –

अमेरिकी जर्नल- एसएआई एस रिव्‍यू ऑफ इंटरनेशलन अफेयर्स में कूटनीति विशेषज्ञ आंद्रे पैगलियारिनी लिखते है – लूला निश्चित ही ब्राजील को एक स्‍वतंत्र महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने की अपनी योजना पर काम करेंगे। लूला ब्राजील को ऐसी ताकत बनाना चाहते हैं, जो पूर्व और पश्चिम दोनों की शक्तियों से बराबरी के लेवल पर बातचीत कर सके। पैगलियारिनी ने लिखा – ‘नव निर्वाचित राष्‍ट्रपति अंतर्राष्‍ट्रीय प्रेस में आरंभिक दिनों की सद्भावना का इस्‍तेमाल विश्‍व नेताओं तथा बहुपक्षीय संस्‍थानों से बेहतर संबंध बनाने में करेंगें’।

 लूला 3 बार बने ब्राजील के राष्‍ट्रपति:

लूला डी सिल्‍वा एक ब्राजीलियाई राजनीतिज्ञ है। वे ब्राजील के 3 बार राष्‍ट्रपति, लोकतांत्रिक रूप से चुने जाने वाले पहले व्‍यक्ति हैं। वे 1989 से 1998 के बीच तीन बार राष्‍ट्रपति चुनाव लड़े, लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन्‍हें साल 2002 में चौथी बार चुनावी मैदान में उतरने के बाद सफलता मिली।  और सिल्‍वा 2003 से 2010 तक देश के राष्‍ट्रपति पद पर रहे। यह उनका 6वॉं राष्‍ट्रपति चुनाव अभियान था।

BRICS की वापसी निश्चित:

एक अमेरिकी अधिकारी ने Website Axios. com से कहा है- ‘ब्राजील की विदेश नीति में अब BRICS की वापसी निश्चित है’। सिल्‍वा की राय रूस-यूक्रेन युध्‍द के मामले में अमेरिका के बिल्‍कुल खिलाफ है। कुछ समय पहले लूला ने अमेरिकी पत्रिका टाइम को दिए एक इंटरव्‍यू में कहा था कि यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंन्‍स्‍की रूस के साथ युध्‍द चाहते हैं। लैटिन अमेरिका के बारे में सख्‍त राय जताते हुए सिल्‍वा ने कहा – ‘अगर अमेरिका लैटिन अमेरिका के स्‍वतंत्र रहने की भावना को नहीं समझता है, तो बड़ी समस्‍या खड़ी हो सकती है। इसी इंटरव्‍यू के दौरान उन्‍होंने कहा था कि,’चीन के साथ हमारा व्‍यापार बहुत अहम है, इसलिए चीन के साथ रिश्‍ते अच्‍छे ना रखना असंभव है’।

क्‍यों बढ़ रहीं अमेरिका की चिंताएं ?

  • जनवरी में सिल्‍वा के राष्‍ट्रपति पद संभालने के साथ ही लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े राष्‍ट्र में भी वामपंथी शासन कायम हो जाएगा। अभी चिली, अर्जेंटीना, होंडूरास, पेरू कोलंबिया औ मैक्सिको में ही वामपंथी शासन हैं।
  • रविवार को चुनाव जीतने के बाद सिल्‍वा ने कहा- ‘हम अमेरिका और चीन के बीच नए शीत युध्‍द को अस्‍वीकार करते हैं’। माना जा रहा है कि यह बयान चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति के खिलाफ है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिल्‍वा की विदेश नीति में BRICS ( ब्राजील, रूस, भारत, चीन, द. अफ्रीका ) महत्‍वपूर्ण रोल अदा करेगा।
  • लूला डी सिल्‍वा 2003 से 2010 तक ब्राजील के राष्‍ट्रपति पद पर रहे चुके हैं। इस दौरान ब्राजील में आर्थिक खुशहाली आई थी। तब सिल्‍वा ने कई अंतर्राष्‍ट्रीय कूटनीति का नेतृत्‍व करने की कोशिश की थी। इस दौरान कई बार लूला का अमेरिका से टकराव हुआ था। जबि‍क उन्‍होंने लैटिन अमेरिकी देशो और चीन के साथ करीबी संबंध बनाए थे।

 

Kusum
I am a Hindi content writer.

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