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Lachit Borphukan Jayanti: आज लचित बोड़फुकन की 400वीं जयंती, मोदी बाले- साजिशन रचा गया इतिहास..

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Lachit Borphukan Jayanti

Lachit Borphukan Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्‍ली के विज्ञान भवन में ‘Lachit Borphukan Jayanti’ पर आयोजित प्रदर्शनी का दौरा किया। इस दौरान असम के मुख्‍यमंत्री हेमंत बिस्‍वा सरमा भी उनके साथ मौजूद रहे। दरअसल, आज असम की धरती से जुड़े महान वीर लचित बोड़फुकन की 400वीं जयंती है। इस दौरान जयंती कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने शिरकत की। अपने संबोधन में मोदी ने कहा, ”मैं असम की उस महान धरती को प्रणाम करता हूं, जिसने मां भारती को लचित जैसे वीर दिए हैं। मैं सौभाग्‍यशाली हूं जो मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर प्राप्‍त हुआ। मैं इस पावन अवसर पर समस्‍त देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

कौन हैं लचित बोड़फुकन ?

असम की राजनीति में ‘सरायघाट के युध्‍द’ का अक्‍सर ही जिक्र किया जाता है, इसी युध्‍द से जुड़ा है वीर लाचित बोड़फुकन का नाम जिन्‍हें मुगलों को धूल चटाने के लिए याद किया जाता है। आसाम पूर्वोत्‍तर भारत का एक बेहद ही उपजाऊ, खूबसूरत और महत्‍वपूर्ण राज्‍य है, जिसको मुगल शासक हथियाना चाहते थे। जिसके चलते साल 1971 में गुवाहाटी के पास सरायघाट में मुगलों और अहोम के बीच एक भयानक निर्णायक युध्‍द हुआ था। जिसे इतिहास में ‘सरायघाट का युध्‍द’ के नाम से जाना जाता है। इस लड़ाई में अहोम सेनापति लाचित बोड़फुकन ने बहादुरी की गजब मिसाल पेश की। उनकी अगुवाई में छोटी सी अहोम आर्मी ने मुगलों की विशाल सेना के छक्‍के छुड़ा दिए। तभी से लाचित बोड़फुकन का नाम इतिहास में अमर हो गया। अलग-अलग विद्वान उनके बारे में अलग-अलग व्याख्‍याएं पेश करते हैं।

क्‍या बोले संबोधन में मोदी ?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज भारत अपनी संस्‍कृति के ऐतिहासिक महानायक-नायिकाओं को गर्व से याद कर रहा है। मां भारती की लचित जैसी अमर संताने हमारी अविरल प्रेरणा हैं, मैं इस पुण्‍य अवसर पर लचित को नमन करता हूं। उन्‍होंने कहा- अगर कोई तलवार के जोर से हमें झुकाना चाहता हे, हमारी शाश्वत पहचान को बदलना चाहता है तो हमे उसका जवाब देना आता है। असम की पूर्वोत्‍तर धरती इसकी गवाह रही है। महान वीर लचित ने जो वीरता और साहस दिखाया वो मातृभूमि के लिए प्रेम की पराकाष्‍ठा का प्रतीक है।

हमे पढ़ाया गया साजिशन रचा इतिहास :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमारे गौरवान्वित करने वाले भारतीय इतिहास को दबाया गया। भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है। भारत का इतिहास योध्‍दाओं का इतिहास है, अत्‍याचारियों के विरूध्‍द अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने का इतिहास है। मोदी ने कहा, दुर्भाग्‍य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा, जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था।

जबकि आजादी के बाद हमें जरूरत थी कि गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंड़ों को बदला जाए, लेकिन ऐसा किया नहीं गया। देश के हर कोने में मां भारती के पुत्र-पुत्रियों ने कैसे आतताइयों का डटकर मुकाबला किया, अपना सर्वस्‍व न्‍योछावर कर दिया। इस इतिहास को जानबूझ कर दबाया गया।

PM मोदी की सच्‍ची श्रृध्‍दांजलि : Make in India 

इस दौरान केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनेवाल ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने Make in India के माध्‍यम से  लोगों को आत्‍मनिर्भर का मंत्र दिया। उन्‍होंने कहा, यह प्रधानमंत्री की तरफ से लचित बोड़फुकन को सच्‍ची श्रृध्‍दांजलि है। क्‍योंकि मुगलों के खिलाफ युध्‍द में उन्‍होंने जो हथियार इस्‍तेमाल किए थे, वे असम के लोगों द्वारा ही बनाए गए थे। उन्‍होंने कहा, आत्‍मनिर्भर भारत की यात्रा तब ही शुरू हो गई थी, अब मोदी ने इसे आगे बढ़ाया।

यह छत्रपति शिवाजी, दुर्गादास….का भारत है : 

इस ‘Lachit Borphukan Jayanti’ समारोह पर मौजूद आसाम के मुख्‍यमंत्री हेमंत बिस्‍वा सरमा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा ही अपने इतिहास के गुमनाम नायकों पर प्रकाश डालने के लिए  प्रेरित किया है। लचित बोड़फुकन की गौरवमयी गाथा को देश के सामने लाने का यह हमारा प्रयास है, लेकिन सिर्फ सरकार के प्रयास ही काफी नहीं हैं। इसके लिए लोगों एवं इतिहासकारों को भी प्रयास करना होगा। मुख्‍यमंत्री सरमा ने कहा, इतिहासकारों से निवेदन है कि भारत में सिर्फ औरंगजेब, बाबर, जहांगीर या हुमायूं की कहानी नहीं है। भारत लचित बरफुकन, छत्रपति शिवाजी, गुरू गोविंद सिंह, दुर्गादास का इतिहास है।

 

 

Kusum
I am a Hindi content writer.

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