Joshimath Sinking: जोशीमठ नगर प्राचीन, अध्यात्मिक और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, परन्तु वर्तमान में नगर का अस्तित्व खतरें में पड़ गया है। शहर में जगह-जगह से आ रही भू-धंसाव की घटनाओं से यहां सब लोक दहशत में हैं। खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड के ‘Joshimath Sinking‘ की घटना को लेकर पूरा देश चिंतित है। उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में 550 घर रहने लायक नहीं हैं। संयुक्त मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि, जोशीमठ भू-धंसाव पर अब PMO ने भी जानकारी मांगी है। प्रधानमंत्री मोदी भी अब इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। तो चलिए जानते है कि आखिर कैसे आई जोशीमठ की यह स्थिति?
जोशीमठ भू-धंसाव की मुख्य वजह ?
बताया जा रहा है कि, प्रशासन ने जोशीमठ नगर में हो रहे सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। थाना प्रभारी कैलाश चंद भट्ट का कहना है कि, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के निर्देश के अनुपालन में नगर में चले रहे निजी निर्माण कार्यों को बंद करने का आदेश जारी किया गया है। जोशीमठ में भू-धंसाव का मुख्य कारण बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रूकावट और ऊपरी मिट्टी का कटाव बताया जा रहा है।
नगर पालिका की रिपोर्ट ?
नगर पालिया कि रिपोर्ट के अनुसार गांधीनगर वार्ड में 133, नृसिंह मंदिर के पास 24, मारवाड़ी में 28, सनील में 27, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, परसारी में 50, अपर बाजार में 26, रविग्राम में 153 और गांधी नगर वार्ड में 133 मकानों में दरारें आई हैं। यह जोशीमठ से तपोवन के बीच के क्षेत्र हैं। इस हिस्से में रैणी आपदा भी आई थी। जिसके कारण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस आपदा को लोग अभी तक नहीं भूल पाए हैं। यहां परियोजना निर्माण कार्य भी चल रहा है।
रिपोर्ट में ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए सेंटर फॉर ग्लेशियर रिसर्च स्टडीज एंड मैनेजमेंट की स्थापना की जरूरत बताई जा रही है। साथ ही कहा गया है कि, ग्लेशियोलॉजी व ग्लेशियर अध्ययन करने वो अकादमिक एवं शोध संस्थान अलग-अलग होकर काम करने के बजाय एक-दूसरे को आंकड़ों और अध्ययन को साझा करें। साथ ही इसके दोहराव से बचें।
बीते कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियों में गर्मी, गर्मियों में जोरदार बारिश, मानसून बीतने के बाद आई आपदा ने राज्य के लाखों लोगों का प्रभावित किया है। सैकड़ों गांव विस्थापित होने की मांग कर रहे हैं। बेमौसमी बारिश और प्राकृतिक आपदा से राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ है। बागवान से लेकर किसान तक इस घटना से प्रभावित हुए हैं।
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