International Monetary Fund: आज दुनिया के सभी विकसित देश बेशक मंदी के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी मजबूती पर टिकी हुई है। मंदी के प्रमुख कारकों, चाहे वह GDP हो, बेरोजगारी दर हो या फिर मंहगाई दर हो भारत इन सभी मामलों में दुनिया के विकसित देशों में बेहतर स्थिति में है। दरअसल, हाल ही में International Monetary Fund ने कहा है कि, विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुमानित वृध्दि दर को भी घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसके बावजूद भी, यह चीन के वृध्दि दर अनुमान से बेहतर है।
शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर की स्थिति?
वित्त वर्ष 2021 में वैश्विक वृध्दि दर 6% रहने के बाद चालू वित्त वर्ष में वैश्विक वृध्दि दर घटकर 3.2% रह सकती है। वहीं वित्त वर्ष 2023 में इसमें 2.7% की गिरावट देखी जा सकेगी। वित्त वर्ष 2021-2022 की दिसंबर तिमाही के दौरान यह 5.4% रही। जबकि इसी वित्त वर्ष में पूरे साल की GDP वृध्दि दर 8.7% रही। बेरोजगारी के आलम में भी भारत का प्रदर्शन बेहतर हो रहा है।
Centre For Monitoring Indian Economy (CMIE) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान सभी आयु वर्ग में शहरी बेरोजगारी दर 7.6% रही है। जोकि अप्रैल में 9.22%, मई माह में 8.21% एवं जून माह में 7.3% रही। इस तरह लगातार तीसरे महीने शहरी बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई है। CMIE की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर अगस्त माह में 7.68% थी। जोकि सितंबर माह में घटकर 5.84% हो गई।
भारतीय मंहगाई दर में बढ़ोत्तरी :
महंगाई के मामले में जरूर स्थितियां कुछ चिंताजनक हैं। उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर सितंबर महीने में 5 माह के सबसे उच्च स्तर 7.41% पर पहुंच गई है। यह लगातार 9वां महीना है, जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक द्वारा तय अधिकतम् सीमा 6% से भी ज्यादा है। हालांकि RBI द्वारा उठाए गए ठोस कदमों की वजह से भारत में महंगाई दर बेकाबू नहीं हो पाई। लगातार रूपये में आ रही गिरावट से भारतीय GDP जरूर प्रभावित हुई है। लेकिन अमेरिकी डॉलर मजबूत होने से रूपये के अलावा यूरो, येन एवं पाउंड जैसी मुद्राएं भी कमजोर हो रही हैं। कई मुद्राओं की हालात तो रूपये से भी कमजोर हो गई है।
भारत की विकास दर तेज कैसे?
सितंबर माह में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह 26% बढ़कर 1.48 लाख करोड़ रूपये रहा। वहीं अक्टूबर माह में यह 1.50 लाख करोड रूपये के स्तर को पार कर गया। यह लगातार 8वां महीना है, जब GST संग्रह 1.4 लाख करोड़ रूपये से अधिक रहा है। कॉरपोरेट और व्यक्तिगत Tax Collection चालू वित्त वर्ष में 1 अप्रैल – 8 अक्टूबर तक लगभग 24% बढ़ा। RBI द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 9 सितंबर को समाप्त पखवाड़े में कर्ज की वृध्दि दर 16.2% रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 6.7% रही थी। आरबीआई का यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में विकास की गति तेज हो रही है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकसित देश बेशक मंदी की कगार पर है, परन्तु भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी मजबूती से टिकी है। मंदी के प्रमुख कारकों के बावजूद भी भारत दुनिया के विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है। साथ ही, अर्थव्यवस्था के दूसरे जरूरी पैमानों पर भी भारत अर्थव्यवस्था उम्दा प्रदर्शन कर रही है। इसलिए International Monetary Fund ने कहा – यह कहना ठीक नहीं होगा की भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की गिरफ्त में आने वाली है।
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