संदर्भ :
INS विक्रांत अर्थात् साहसी योद्धा, जो विजेताओं पर भी विजय पाले वह विक्रांत है। ”जो शूरवीर है, वही विक्रांत है” यह ध्येय वाक्य ऋग्वेद के श्रीमद्भगवतगीता से लिया गया है। यह भारत के गौरव में शामिल भारतीय नौसेना का पहला स्वादेशी विमान वाहक जहाज है।
विस्तार :
हाल ही में 2 सितंबर (शुक्रवार) को प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय नौसेना के पहले स्वादेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत का जलावतरण किया है। आज भारतीय गौरव विक्रांत और उसके आदर्श वाक्य की चर्चा जोरों पर है। विक्रांत का अर्थ है योध्दा, विक्रांत का अर्थ है साहसी, जो शूरवीर है वह विक्रांत है, जो विजेताओं पर भी विजय प्राप्त करले वह विक्रांत है। विदुषी मदालसा के पुत्र का नाम विक्रांत था। विक्रांत का आदर्श वाक्य बहुत सोच- विचार करके चुना गया है।
विक्रांत का आदर्श वाक्य है : जयेम सं युधि स्पृध : ( हम युध्द में शत्रुओं पर पूर्ण विजय पाएं) यह ऋग्वेद (1.8.3) से अवतरित किया गया है इस ऋचा में ऋषि मधुछन्दस विश्वामित्र, भगवान इन्द्र से विजय दिलाने की प्रार्थना करते हैंं, वे कहते है कि- इन्द्र त्वोतास आ वयं वज्रं घना ददीमहि। जयेम सं युधि स्पृध: ।। अर्थात हे इंद्र, आपसे रक्षा पाकर, हम वज्र और शस्त्र का उपयोग करें। हम युध्द में शत्रुओ पर पूर्ण विजय पाएं। वहीं श्रीमद्भागवद्गीता(1.6) में पांचाल योध्दा युधामन्यु को विक्रांत कहा गया है, ”युधामन्युश्च विक्रांत उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।” युधामन्यु ने ही कर्ण के भाई चित्रसेन का वध किया था।
INS विक्रांत के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य :
INS विक्रांत, का नाम भारत के पहले विमान वाहक पोत ‘INS विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है। PM मोदी ने कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में देश के प्रथम स्वदेशी विमान वाहक पोत को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।
ऐसा कहा जाता है कि जब यह सेना में था तो पाकिस्तान इसके नाम से भी डरता था। 1971 में भारत -पाक युध्द में इसने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यहां तक की विक्रांत की वजह से पाकिस्तान को अपनी नेवल सबमरीन गाजी को भी खोना पड़ा था।
आईएनएस विक्रांत को वर्ष 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इसके शामिल होने के बाद भारत का समुद्र में दबदबा बढ़ गया। 1971 के भारत-पाक युध्द में विक्रांत विशाखापट्टनम में तैनात था। इस युध्द में इसने पाकिस्तान को बुरी तरह परास्त किया ।
सन् 1997 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया। एवं सेवामुक्ति के बाद भी ‘INS विक्रांत’ आकर्षण का केंद्र बना रहा । अब इसके नाम पर स्वदेशी “INS विक्रांत” तैयार किया गया है जो भारतीय नौसेना के लिए फिर से ढ़ाल बनेगा।
भारत वर्तमान में औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने की ओर अग्रसर है एवं लगातार उस तरफ कदम बढ़ा रहा है। नौसेना ने अपने जिस नए प्रतीक का अनावरण किया है, उसमें भारतीय नौसेना के पितामह कहे जाने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा के अष्टकोणीय डिजाइन को भी जगह दी गई है। यह आठ कोण आठों दिशाओं में अपनी सजगता एवं सक्रियता का प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने समय की अद्वितीय नौसेना का गठन किया था जिसके कारण मराठों के दुश्मन अनके अहम ठिकानों पर कब्जा नहीं कर पाए।
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