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Indo-Pak Border: तस्‍कर क्‍यों लपेट रहे बॉर्डर पर गीली बोरी? जानें क्‍या है BSF की खास रणनीति…

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Indo-Pak Border

Indo-Pak Border: पाकिस्‍तान अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आ सकता। वह आए दिन भारत-पाक बार्डर पर अपनी तुकियानुकी हरकतें दिखाता रहता है। पाकिस्‍तान से आ रहे ड्रोन जिसमें हथियार, कारतूस, ड्रग्‍स के पैकेट होते हैं, उन्‍हें उठाने के लिए कुछ भारतीय सीमा के ‘गुर्गे’ बॉर्डर क्षेत्र पर पहुंचते हैं। उन्‍हें Indo-Pak Border बॉर्डर पर ही पकड़ने के लिए BSF एक खास रणनीति पर काम कर रही है। मौजूदा समय में BSF के पास इस्‍त्राइल के 21 ‘long range reconnaissance and observation system’ (LORROS) हैं। जिस मेंसे 19 लोरोस काम कर रहे हैं, जबकि 2 लोरोस तकनीकी खराबी के चलते बॉर्डर साइट पर नहीं हैं। यह सिस्‍टम ट्राईपोर्ट पर लगता है।

HHTI को भी गच्‍चा देते हैं ये गुर्गे :

गुर्गे बहुत ही चालाक और शातिर होते हैं। सुरक्षा बलों द्वारा इन्‍हें पकड़ने के लिए जो भी तकनीक अपनाई जाती है, ये उसका तोड़ निकाल ही लेते हैं। जैसे हैंड हेल्‍ड थर्मल इमेजर (HHTI) तकनीक को गच्‍चा देने के लिए यह आतंकी संगठनों के गुर्गे ओवर ग्राउंड वर्कर, अपने शरीर पर भीगी हुई बोरी लपेट लेते हैं। इससे उनके शरीर का तापमान नीचे चला जाता है और वे HHTI की गिरफ्त से बच जाते हैं। Indo-Pak Border के निकट वे कुत्‍ते-बिल्‍ली की तरह रेंगने लगते हैं, ताकि HHTI में किसी इंसान की इमेज की बजाए जानवर की छवि दिखाई पड़े। सुरक्षा बल अब इन सभी तरीकों का तोड़ निकालने में जुटी हुई है। बहुत जल्‍द बॉर्डर पर ऐसे कैमरे होगे, जिनकी मदद से 20 किमी दूर तक भी अगर कोई कछुआ बनकर चल रहा हो तो उसकी सूचना जवानों को मिल सके।

क्‍या है BSF की खास रणनीति ?

BSF के पास मौजूदा समय में 21 लोरोस है, जिसमें से वर्तमान में 19 एक्टिव हैं। यह LORROS सिस्‍टम ट्राईपोर्ट पर लगता है, साथ ही इसकी ऊंचाई बढ़ाने के लिए इसे पोल पर भी लगाया जा सकता है। बॉर्डर पर LORROS के जरिए दिन में 12 किमी दूर से किसी मानव का पता लगाया जा सकता है। 9 किमी दूर से किसी व्‍यक्ति की पहचान की जा सकती है। इसके साथ ही  13 किमी से किसी वाहन का पता लगाने एवं 7.5 किमी दूर से उसकी पहचान करने में सक्षम हैं।

इसके अलावा बल के पास HHTI व सर्विलांस के दूसरे उपकरण भी मौजूद हैं। बीएसएफ DG पंकज कुमार सिंह ने कहा था कि पाकिस्‍तान की ओर से जो ड्रोन आ रहे हैं, वे बदलाव किए हुए होते हैं। जैसे कि जब कंपनी से ड्रोन बनकर आता है तो उसमें लाइट ब्लिंग करती है, लेकिन ये ड्रोन ब्लिंक नहीं करते। इसलिए लाइट न दिखने पर केवल आवाज पर ही निशाना लगाना काफी मुश्किल हो जाता है।

BSF को मिलेंगे 20 किमी वाले LORROS :

थर्मल कैमरा, किसी ऑब्‍जेक्‍ट की हीट के आधार पर काम करता है। कैमरे द्वारा ऑब्‍जेक्‍ट के तापमान को डिटेक्‍ट कर उसकी थर्मल इमेज, स्‍क्रीन पर दिखाई जाती है। जब शरीर का तापमान नीचे चला जाता है तो HHTI में उसकी इमेज स्‍पष्‍ट नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में BSF एक दूसरा तरीका भी अपनाती है। बॉर्डर की तरफ जितने भी रास्‍ते जाते हैं, वहां जवान छिपकर बैठ जाते हैं। इसके अलावा झाडि़यों में भी जवान छिप कर बैठे होते हैं। जैसे ही स्‍मगलर वहां से गुजरता है, जवान उसे दबोच लेते हैं। BSF अधिकारियों के मुताबिक, अब 20किमी की रेंज वाले ‘LORROS अथवा HHTI‘ खरीदने का प्रपोजल तैयार कर रहा है। ऐसे ही उपकरण ITBP की निगरानी के लिए खरीदे जाने है। जिसकी रेंज 40 किमी दूर की रहेगी।

Kusum
I am a Hindi content writer.

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