छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित भारतीय नौसेना में भारत द्वारा निर्मित पहली विमान वाहक पोत INS विक्रांत को हाल ही में जलावतरित किया गया है। 20 हजार करोड़ की लागत से बना यह पोत 45 हजार टन वजनी, 262 मीटर लंबा एवं 60 मीटर ऊंचा है इसमें एकसाथ 30 फाइटर प्लेन एवं हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते है । लेकिन इससे इतर भी आज नौसेना और पूरे देश के लिए बड़ा दिन है। आजादी के बाद भारतीय नौसेना के ध्वज या Ensign अथवा निशान में यह पांचवा बदलाव है।
तो आज हम जानेंगे कि, भारतीय नौसेना की शुरूआत कैसे हुई ? इसका विस्तार कैसे हुआ ? इसमें अब तक कौन-कौन से बदलाव किए गए ? छत्रपति शिवाजी की नौसेना कैसी थी ? एवंभारतीय नौसेना छत्रपति शिवाजी की सेना से कैसे संबंधित है?
भारतीय नौसेना की शुरूआत कैसे हुई ?
तो आइए इसके इतिहास से शुरूआत करते है, यू देखा जाए तो भारतीय नौसेना का इतिहास काफी पुराना है । आज से लगभग 90 हजार साल पुराने ऋग्वेद में भी इसका जिक्र है भगवान वरूण को समुद्र का देवता माना जाता है । भारतीय नौसेना की Website के अनुसार, आदिकाल के जहाजों द्वारा उपयोग किए गए समुद्री मार्गों के ज्ञान का वर्णन भी वेदों में मिलता है। इसमें तूफान के समय पर पोत को स्थिर रखने वाले प्लेव का भी जिक्र है जिसे वर्तमान में स्टेबलाइजर्स कहते है । अथर्वेद में अच्छी तरह से निर्मित, विशाल एवं आरामदायक नौकाओं का उल्लेख मिलता है।
भारतीय नौसेना का विस्तार कैसे हुआ ?
इसका उल्लेख वेदों में तो मिलता ही है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इंडियन नेवी का इतिहास 8 हजार साल से भी पुराना है। दुनिया की पहली ज्वार गोदी का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के दौरान 2300 ई.पू. के आप-पास लोथल में माना जाता है, जो वर्तमान में गुजरात के तट पर मौजूद मंगरोल बंदरगाह के निकट है। सिंकदर के शासनकाल में नौसेना – समय के साथ-साथ समुद्री सेना का भी विस्तार होता आ रहा है। उत्तर-पश्चिम में सिकंदर के शासन काल में पाटला पर एक बंदरगाह का निर्माण करवाया गया, जहां अरब सागर में सिंधु नदी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है। सिकंदर ने सिंध में निर्मित जहाज को अपने बेड़े में शामिल किया।
छत्रशाल शिवाजी महाराज की नौसेना कैसी थी ?
1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में इंडियन मरीन की शुरूआत की गई, 1685 में इसका नाम बदलकर बंबई मरीन कर दिया गया। ये 1830 तक चला एवं 17 वीं सदी के मध्य में नौसेना में एक बड़ा पुनरूत्थान देखा गया। अंग्रेज एवं मुगल दोनों ही भारतीय सत्ता पर राज कर रहे थे। जिनके खिलाफ कई भारतीय राजा लड़ाई लड़ रहे थे जिनमें से एक वीर योध्दा मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज थे । शिवाजी ने पहले ही समझ लिया था कि जिसका राज्य समुद्र पार हो गया वह कहीं भी राज कर सकता है। क्योंकि डच, फ्रेंच, एवं पुर्तगाली समुद्री मार्ग से ही भारत आए थे एवं शिवाजी इनके बढते प्रभाव को रोकना चाहते थे। इस सोच के साथ उन्होंने अपनी समुद्री सेना बनाई एवं इसी मिशन के चलते उन्होंने सिंधु दुर्ग, विजय दुर्ग का निर्माण करवाया । उनका सागरी आर्मर इसी का नतीजा था जिसको संभाजी ने आगे बढ़ाया।
भारतीय नौसेना के ध्वज में अब तक कौन-कौन से बदलाव किए गए ?
अब तक भारतीय नौसेना के इन्साइन को पॉंच बार परिवर्तित किया जा चुका है, साल 1947 में भारतीय नौसेना के ध्वज में सफेद झंडे पर जॉर्ज क्रॉस के साथ बाएं कॉर्नर में यूनियन जैक ऑफ यूनाइटेड किंगडम था। अर्थात् इसमें अंग्रेजी हुकूमत की पूरी छाप थी।लेकिन देश में गणतंत्र लागू होने के साथ ही 26 जनवरी 1950 को पहली बार भारतीय नौसेना के ध्वज में परिवर्तन किया गया। इसमें यूनियन जैक को हटाकर उसकी जगह भारतीय ध्वज को दी गई एवं जॉर्ज क्रॉस यथावत बना रहा। साल 2001 में इसमें से जॉर्ज क्रॉस को हटाकर उसकी जगह इंडियन नेवी क्रेस्ट को रखा गया । इस बार सफेद झंडे पर बॉए कॉर्नर पर भारतीय ध्वज और दाहिनी तरफ बीच में नेवी क्रेस्ट था। साल 2004 में ध्वज में नेवी क्रेस्ट को हटा कर फिर से रेड जॉर्ज क्रॉस वापस लाया गया। एवं जॉर्ज क्रॉस के बीचों बीच अशोक चिन्ह को जगह दी गई।
साल 2014 में हुए बदलाव में पूर्णत: यथावत रहा परंतु अशोक चिन्ह के नीचे देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा गया।
हाल ही 2 सितंबर 2022, इसमें जॉर्ज क्रॉस को एक बार फिर से हटा दिया गया है, इस बार दाहिनी तरफ नीले रंग का ऑक्टागोनल अर्थात् अष्ठकोणीय चिन्ह है जिसके ऊपर अशोक चिन्ह और नीचे देवनागरी में नेवी का Motto लिखा है।
भारतीय नौसेना ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ से कैसे संबंधित है ?
वर्ष 2022 में भारतीय नौसेना के ध्वज में सम्मिलित किया गया नीले रंग का ऑक्टागन आठों दिशाओं में भारतीय नौसेना की पहुंच को प्रदर्शित करता है। भारतीय नौसेना द्वारा जारी एक वीडियों में बताया गया है कि, हाल ही में परिवर्तित हुए नेवी ध्वज में नीले रंग का ऑक्टागन सम्मिलित किया गया है जिसके बाहरी हिस्से में बनी दो गोल्डन शील्ड को छत्रपति शिवाजी महाराज की सील से अवतरित किया गया है। एवं बताया गया है कि भारतीय नेवी के प्रेरणास्त्रोत वीर छत्रपति शिवाजी महाराज है। शिवाजी ने अपनी दूर दृष्टि और कौशल क्षमता से एक विश्वास योग्य नौसेना फ्लीट तैयार की थी जिसमें 60 लड़ाकू शिप एवं करीब 5000 योध्दा थे। शिवाजी पर उल्लेखित ”द ग्रेट इंडियन वॉरियर‘ किताब के लेखक वैभव पुरंदरे ने बताया है कि छत्रपति शिवाजी ही भारत में नौसेना के जनक है।
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