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Heart Attack : हार्ट अटैक आने के बाद भी छोटे उपाय ‘सीपीआर’ से बचाई जा सकती है जान, विशेषज्ञों की सलाह-तुरंत करें ये काम…

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Heart Attack

Heart Attack : साइलेंट किलर बनीं यह बीमारी दशकों पहले बुढापें में होती थी, लेकिन आज कब और किसकी जान ले जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। कम उम्र में ही Heart Attack के बढ़ते खतरे को लेकर विशेषज्ञ चिंतित हैं। आश्‍यर्चजनक बात है कि आज 40 से कम उम्र एवं जिम करने वाले, फिटनेस को लेकर अलर्ट रहने वाले लोगों को भी इस मामले में रिपोर्ट किया गया है। इस संबंध में हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि, बढ़ते खतरों को ध्‍यान में रखते हुए न सिर्फ हृदय रोगों से बचाव के उपाय करते रहना आवश्‍यक है, बल्कि हार्ट अटैक आने के बाद तत्‍काल क्‍या किया जाना चाहिए ।  CPR जैसे छोटे उपाय करके कई जानें बचाई जा सकती है।

कोविड-19 का हृदय पर गंभीर दुष्‍प्रभाव

हार्ट अटैक के मामले में रिपोर्ट किए जा रहे लोगों के अध्‍ययन में कुछ वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड’19 संक्रमण का हृदय पर गंभीर दुष्‍प्रभाव हुआ है। हार्ट अटैक के केस में बढ़ोत्‍तरी का यह भी एक जिम्‍मेदार कारक है। फिलहाल, डॉक्‍टर्स का कहना है चूंकि हृदयघात के मामले सभी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं| ऐसे में इससे बचाव को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की अवश्‍यकता है। महुतायत मामलों में देखा गया है कि हार्ट अटैक के बाद तुरंत ‘सीपीआर’ देकर मरीज को खतरे से बचाया गया है। तो आइए जानते है कि सीपीआर क्‍या है, इससे मरीज को कैसे बचाया जा सकता है?

क्‍या है CPR ?

इसका फुलफॉर्म Cardiopulmonary resuscitation  है, जो एक जीवन रक्षक तकनीक है। इससे हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों से मरीज को बचाया जा सकता है। हृदयघात होने पर या डूबने के बाद सांस न आने की स्थिति में CPR  देकर रोगी के शरीर में रक्‍त और ऑक्‍सीजन का संचार किया जा सकता है। कॉर्डियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर्स का कहना है, यदि सही तकनीक से सीपीआर दिया जाए तो इससे रोगी की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक के बाद प्रारंभिक स्‍तर पर CPR किया जाना आवश्‍यक है। इस प्रक्रिया के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करके इससे होने वाली मौत के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। विशेषज्ञ कहते है कि, CPR जैसी जीवन-रक्षक तकनीक की जानकारी सभी के लिए अति आवश्‍यक है।

सीपीआर कब दिया जाना चाहिए ?

जब कोई व्‍यक्ति अचानक से गिर जाता है तो  यह जानने के लिए कि वह व्‍यक्ति जिंदा है अथवा नहीं । उसके ABC फॉमूले द्वारा चेक करें। A- Airway, B-  Breathing, C- Circulation.  A- Airway में नाक के सामने हाथ को रखकर सांस चेक करेंगे। सांस आने पर आपको हांथों में गर्माहट महसूस होगी। B-  Breathing  में व्‍यक्ति की छाती पर हाथ रखकर सांस चेक करेंगे आ रही है या नही। पुरूष होने पर छाती पर तथा महिला होने पर एब्‍डोमिनल पर हाथ रखकर सांस चेक करते है। C- Circulation में लेटे हुए व्‍यक्ति के बाएं हाथ की नाड़ी चेक करेंगे। उस दौरान हाथ की कलाई को एकदम ढ़ीला कर दें। इसके बाद बेहोश व्‍यक्ति को जगाने का प्रयास करेंं, यदि किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं होती है तब CPR शुरू करें।

सीपीआर कैसे दिया जाना चाहिए ?

कॉडियोलॉजिस्‍ट बताते है कि, Heart Attack आने के बाद जब हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है। रक्‍त और ऑक्‍सीजन का संचार बाधित हो जाता है। तब ऐसे में जीवन-रक्षक तकनीक CPR प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। जब किसी व्‍यक्ति को अचानक गिरते देखें तो सबसे पहले चेक करें की उसे कहीं लगी तो नहीं। उसके बाद यह कंफर्म कर लें कि उस व्‍यक्ति की सांसे चल रही हैं या नहीं। यदि नहीं तो इस विशेष तकनीक में छाती के थोड़ी नीचे  100-120 प्रति मिनिट की दर से 60 से 70 बार दबाएं।  इसके साथ ही प्रत्‍येक 4 सेशन के बाद एक बार माउथ टू माउथ ब्रीदिंग दें। यह केवल कृत्रिम तौर पर शरीर में रक्‍त संचार को बनाए रखने का एक आपात उपाय है। इसलिए CPR के तुरंत बाद हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना बहुत आवश्‍यक हो जाता है।

क्‍या है Heart Attack पर विशेषज्ञों की सलाह

हृदय रोग विशेषज्ञ (कॉडियोलॉजिस्‍ट) कहते है, सभी लोगो को हार्ट अटैक का कारण बनने वाली स्थितियों से बचाव करते रहना चाहिए।  समय-समय पर TMT test जरूर करवाते रहना चाहिए। किसी भी व्‍यक्ति को दिल  का दौरा पड़ने पर तुरंत सीपीआर की मदद से उसके शरीर में रक्‍त पंप करें। भविष्‍य में हृदयघात की समस्‍या से बचे रहने के लिए कम से कम कोलेस्‍ट्रॉल जैसे कारकों का सेवन करें। CPR प्रक्रिया की सही तकनीकि जानने के लिए किसी नजदीकी हृदय रोग विशेषज्ञ से जरूर मिलें।

जानें Heart Attack और गैस की वजह से दर्द में अंतर

कॉर्डियोलॉजिस्‍ट बताते है कि लोग अक्‍सर हार्ट अटैक के लक्षण और गैस की वजह से होने वाले दर्द को समझ नहीं पाते। जब गैस की समस्‍या होती है तब खट्टी डकार आती है, उल्‍टी करने जैसा महसूस होता है, दर्द पेट में होता है। लेकिन दिल के दौरे में छाती में सीवियर दर्द होता है। ऐसा दर्द पहले कभी नहीं हुआ होता, छाती पर भारीपन होने लगता है। यदि दर्द पीठ के पीछे बांए हांथ की तरफ जाए तो यह हार्ट अटैक है।

हृदय रोग विशेषज्ञ बताते है, कि युवाओं में हृदयघात के मामले जहां 1 से 2 फीसदी होते थे। वहीं अब युवा आबादी में ऐसे मामले बढ़कर 15 से 20 फीसदी तक पहुंच चुके हैं। इसके मुख्‍य कारकों में अस्‍वस्‍थ्‍य जीवनशैली, वायु प्रदूषण, धूम्रपान एवं पश्चिमी संस्‍कृति को युवाओं द्वारा अपनाए जाने जैसे कारण शामिल हैं।  वे बताते है इससे बचने के लिए पर्याप्‍त नींद, योगा, सुव्‍यवस्थित जीवनशैली बहुत महत्‍वपूर्ण है।

 

 

 

Kusum
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