Haldwani Eviction: उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेल्वे विभाग की 78 एकड़ जमीन में बसे 4000 परिवारों को बेदखल करने के HC के ‘Haldwani Eviction’ आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 4000 परिवारों के ऊपर से उनके आशियाना उजरने का संकट फिलहाल के लिए टल गया है। यह अहम फैसला, सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच के द्वारा दिया गया है। यही बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरूआत की।
दरअसल, हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेल्वे की 28 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्तीकरण करने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद से ही लोग अपना आशियाना बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?
सर्वोच्चतम न्यायालय ने ‘Haldwani Eviction‘ मामले पर हाईकोर्ट को फरकार लगाते हुए कहा कि, यह ठीक है कि रेल्वे यहां सुविधा विकास करना चाहता है। लेकिन इस तरह से 50 हजार लोगों को एक हफ्ते में नहीं हटाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले उन परिवारों के पुनर्वास पर विचार होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरूआत की थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
कांग्रेस नेता रहे मौजूद ?
इस बनभूलपुरा रेल्वे अतिक्रमण मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के शीर्ष नेता मौजूद रहे। यह मुद्दा कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के वक्त कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष करन माहरा, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश, विजय सारस्वत और उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप दिल्ली पहुंचे थे। साथ ही प्रभावित क्षेत्र में देर रात तक दुआओं और तिलावत का सिलसिला चलता रहा, वहीं प्रशासन की नजरें भी सुनवाई पर टिकी रहीं। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पीडि़त परिवारों ने राहत की सांस ली।
क्यों मचा है विवाद ?
यह विवाद उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेल्वे विभाग और 4000 गरीब परिवारों के बीच है। जिसकी शुरूआत 20 दिसंबर को आए उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई। इस आदेश में हाई कोर्ट ने रेल्वे स्टेशन से 2.19 किलोमीटर दूर तक अतिक्रमण हटाए जाने का फैसला दिया था। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए हाई कोर्ट ने 50 हजार गरीब लोगों को अपने आशियानों से अलग होने के लिए 7 दिन की मोहलत दी थी।
This is the victory of justice, the victory of humanity. The roof will not be snatched from the people of Haldwani, children's schools , hospitals, temples, mosques and dharamshalas will not be destroyed. Thank you Honorable Supreme Court – @ShayarImran#HaldwaniEncroachment pic.twitter.com/qT7yo7O1cb
— INC akhter (@INC_akhter) January 5, 2023
जारी नोटिस में कहा गया था कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेल्वे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। इसके बाद से ही जहां एक ओर प्रशासन विध्वंस की तैयारियों में जुटा हुआ था। वहीं दूसरी तरफ प्रभावित परिवार आशियाना बचाने की हर संभव कोशिश में जुटे थे। इस बीच 2 जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई।
बुधवार को बनभूलपुरा क्षेत्र में दिनभर दुआओं और नमाज का सिलसिला जारी रहा, वहीं दूसरी तरफ सियासी माहौल भी गर्म रहा। सपा प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावितों से वार्ता कर उच्चस्तर पर वार्ता का आश्वसन दिया। इस दौरान विभिन्न संगठनों ने बुध्द पार्क में धरना दिया और कई संगठनों ने राज्य सरकार व राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर प्रभावित के हक बेहतर कदम उठाने की मांग की।
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