Gyamvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े 2 मामलों की सुनवाई आज, वाराणसी के दो अलग-अलग कोर्ट में होगी। जिसमें से पहला केस- भगवान श्री आदि विश्वेश्वर मामले का है, जिसकी सुनवाई सिविल जल सीनियर डिवीजन महेंद्र प्रसाद पाण्डेय की फास्ट ट्रैक में होगी। दूसरा केस- अखिलेश ओवैसी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग पर है। जिसकी सुनवाई एसीजेएम उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट करेगी। बताया जा रहा है कि अखिलेश-ओवैसी द्वारा भड़काऊ बयाने देने पर दोनों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। तो चलिए जानते है कि Gyamvapi Case से जुड़े दोनों मुद्दों की सुनवाई का पूरा मामला क्या है
अखिलेश-ओवैसी का भड़काऊ बयान ?
ज्ञानवापी मस्जिद में 16 मई को हुई कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान शिवलिंग मिलने के दावे के पश्चात् समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा सांसद ओवैसी पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बयान देने का आरोप लगा है। अखिलेश-ओवैसी के अलावा लगभग 2000 अज्ञात लोगों पर भी हिंदू विरोधी मुकदमा दायर करने की मांग चल रही है।
इस मामले में अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने दंड प्रकिया संहिता की धारा 156-3 के तहत कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिसमें कहा गया था कि वजूखाने में जाकर हाथ-पैर धोना एवं शिवलिंग वाली जगह पर गंदा पानी जाना हिंदू आस्था पर प्रहार है। इस पत्र में यह भी कहा गया कि शिवलिंग को फव्वारा कहकर विद्वेष फैलाने का प्रयास किया गया है। अखिलेश द्वारा पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखने वाले बयान से हिंदूओं की धार्मिक आस्था को ठोस पहुंचाया गया है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि ओवैसी तथा उनके भाई ने हिंदुओं के धार्मिक भावनाओं के खिलाफ लगातार आपत्तिजनक बातें हैं।
हिंदू पक्ष की दलीलें –
अखिलेश-ओवैसी पर मुकदमा दायर किया जाए
हिंदु पक्ष का आरोप है कि अखिलेश-ओवैसी द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान से हिंदुओं की धार्मिक भावनाऐं आहत हुई। इसलिए हिंदूओं की धार्मिक भावनाओं के हित की रक्षा हेतु किरन सिंह सहित 3 लोगों द्वारा इनके खिलाफ केस फाइल किया गया। मुकदमा सुनवाई योग्य क्यों है, इसके लिए हिंदू पक्ष आज भी कोर्ट में अपनी दलील पेश करेगा। जिसके बाद कोर्ट मुकदमें की सुनवाई के संबंध में अपना आदेश जारी करेगी। हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर वक्फ की प्रॉपटी है अथवा नहीं है। इसका फैसला तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है। ज्ञानवापी देवता की संपत्ति है, कानून के अनुसार देवता नाबालिग है।
ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए
हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में मिले आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग से पता चलता है। कि यह परिसर सनातन धर्म हिंदुओं का है। इसलिए शिवलिंग की नियमित पूजा-पाठ, राज-भोग, श्रृंगार का अधिकार हिंदुओं को दिया जाए। तथा मुस्लिमों को इस परिसर में आने से रोका जाए। जबकि मुसिलम पक्ष का कहना है कि मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाए, ज्ञानवापी वक्फ की संपत्ति है। यहां पर द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 लागू होता है। इसलिए अदालत को इस मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है।
हिंदू पक्ष ने कहा है कि नेताओं की हिंदू विरोधी बयानबाजी से हिंदूओं की भावनाएं आहत हुई है। इस पूरे Gyamvapi Case की साजिश में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी, शहर काजी और शहर के उमेला भी शामिल हैं। इस मामले में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है। अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखा है, जिसकी सुनवाई आज यानी 15 अक्टूबर को होगी।
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