Foreign Universities: प्रत्येक वर्ष लाखों भारतीय युवा विदेशों की येल, ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटीज से डिग्रियां प्राप्त करने के लिए विदेश जाते हैं। जबकि विदेश जाकर पढ़ाई करने का इच्छुक छात्र अक्षम होने के कारण देश में ही रह जाता है। ऐसे में केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए नई पहल शुरू की है। जिसके तहत छात्र अब देश में ही रहकर ऑक्सफार्ड, स्टैनफौर्ड जैसी विदेशी यूनिवर्सिटीज से शिक्षा प्राप्त कर डिग्रियां हासिल कर सकेंगे। वहीं ‘Foreign Universities‘ को भारत में कैंपस खोलने से अधिक अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही इन यूनिवर्सिटीज के भारत आने से अन्य देशों के छात्रों के लिए मौके उभर सकते हैं।
UGC ने तैयार किया ड्राफ्ट:
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने गुरूवार को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए एक ड्राफ्ट पेश किया। जो देश में पहली बार विदेशी संस्थाओं के प्रवेश और संचालन की सुविधा चाहता है। इस मसौदा नीति के मुताबिक, स्थानीय परिसर घरेलू और विदेशी छात्रों के लिए प्रवेश मानदंड, छात्रवृत्ति तथा शुल्क संरचना पर फैसला कर सकता है। संस्थानों को स्टाफ तथा फैकल्टी की भर्ती करने की स्वायत्ता होगी। भारत में कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी को शुरूआत में 10 साल के लिए ही मंजूरी प्रदान की जाएगी। उसके बाद आगे का निर्णय बाद में कई बातों को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।
अक्षम भारतीय छात्रों के लिए सुनहरा अवसर:
वर्तमान भारतीय सरकार छात्रों को सस्ती कीमत पर विदेशी योग्यता प्राप्त करने तथा भारत को एक आकर्षण वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनाने में सक्षम बनाने के लिए देश के अत्यधिक विनियमित शिक्षा क्षेत्र में अमूल बदलाव पर जोर दे रही है। भारत सरकार के इस कदम से विदेशी संस्थानों को देश की युवा आबादी को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही भारतीय छात्रों को सस्ती कीमत पर विदेशी योग्या प्राप्त करेन में सहायता मिलेगी। एडमिशन से जुड़ा प्रत्येक निर्णय यूनिवर्सिटीज लेंगी और इसमें UGC की कोई भूमिका नहीं होगी। मूल्यांकन प्रक्रिया एवंं छात्रों की जरूरतों का आकलन करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था हो सकती है, जैसा कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में होता है।
वैश्विक रैंकिंग में भारतीय यूनिवर्सिटीज का बुरा हाल:
भारत के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन से लेकर अल्फाबेट इंक. तक की कंपनियों को मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिए हैं लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय यूनिवर्सिटीज वैश्विक रैंकिंग में बहुत पिछड़े हैं। देश की अधिक प्रतिस्पर्धी बनने व कॉलेज पाठ्यक्रम तथा बाजार की मांग के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए अपनी शिक्षा पद्धति में सुधार करने की जरूरत है। भारत वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धात्कता सूचकांक 2022 में शामिल 133 देशों की सूची में से 101 वें स्थान पर है। यह सूचकांक किसी देश की प्रतिभा को विकसित करने, आकर्षित करने और बनाए रखने की क्षमता को मापता है।
आपको बता दें कि कुछ विश्वविद्यालयों ने पहले ही भारतीय संस्थानों के साथ साझेदारी स्थापित कर ली है। जिससे छात्रों को आंशिक रूप से भारत के अध्ययन करने एवं विदेशों में मुख्य परिसर में अपनी डिग्री पूरी करने की अनुमति मिल गई है। केंद्र सरकार का यह कदम विदेशी संस्थानों को स्थानीय भागीदारों के बिना कैंपस स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
Comments