NAVIC : भारत सरकार ने सभी स्मार्टफोन में स्वदेशी रूप से विकसित नेविगेशन प्रणाली ‘नाविक’ को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। स्पष्ट है कि अब आपका स्मार्टफोन अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जगह स्वदेशी नैविगेशन विथ इंडियन कॉन्स्टलेशन ‘NAVIC’ से लैस होगा। सूत्रों के मुताबिक, इसकी शुरूआत जनवरी 2023 से हो सकती है। केंद्र सरकार ने सभी मोबाइल निर्माता कंपनियों से इसे एक जनवरी 2023 से लागू करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। फिलहाल मोबाइल निर्माता कंपनियां नए सिस्टम को लागू करने के लिए अतिरिक्त लागत एवं इतने कम समय को लेकर काफी परेशान हैं।
तो चलिए जानते हैं कि नाविक क्या है यह कैसे काम करता है और इससे संबंधित अन्य तथ्य भी…
स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम’NAVIC’ के संबंध में संपूर्ण जानकारी:
क्या है नाविक ?
नाविक एक पूर्वत: स्वादेशी रूप से निर्मित नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है। सरकार ने ISRO को साल 2006 में इसे विकसित करने की मंजूरी दी थी। सरकार द्वारा इसे 174 करोड़ रूपये आवंटित कर साल 2011 तक इसे पूर्ण विकसित किए जाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इसका निर्माण कार्य ही साल 2018 से शुरू हुआ। 8 उपग्रहों की मदद से काम करने वाला यह सिस्टम ‘नाविक’ हिंदुस्तान के पूरे भू-भाग को कवर करता है।
क्या वर्तमान में ‘नाविक’ वर्किंग है ?
हॉं, मौजूदा समय में नाविक एक सीमित दायरे में कार्य कर रहा है। इसका उपयोग देश के सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग में किया जा रहा है। इसके साथ ही गहरे समुद्र में मछुआरों को आपातकालीन चेतावनी देने के लिए भी इसी सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारी को ट्रैक करने तथा प्रदान करने के लिए भी इस सिस्टम का यूज किया जा रहा है। इसी कड़ी में स्मार्टफोन को इस सिस्टम से लैस करना इसका अगला कदम है।
GPS और NAVIC में क्या अंतर है ?
अमेरिकी GPS और NAVIC सिस्टम में मुख्य अंतर दोनों द्वारा कवर किया जाने वाला क्षेत्र अथवा एरिया में है। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम GPS संपूर्ण पृथ्वी को कवर करता है, इसके उपग्रह दिन में दो बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। जबकि नाविक भारत तथा भारत के आसपास के क्षेत्र को कवर करता है।
GPS की तरह ही कुछ और नेविगेशन सिस्टम भी दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं। यूरोपियन यूनियन में गैलीलियो, रूस में ग्लोनास तथा चीन में बीडो, जापान में QZSS का इस्तेमाल किया जाता है। भारत सरकार ने कहा था कि नाविक ”स्थिति सटीकता के मामले में अमेरिका के GPS जितना अच्छा है”। भारत सरकार सैटेलाइट नविगेशन ड्राफ्ट पॉलिसी 2021 के मुताबिक, दुनिया के किसी भी हिस्से में नाविक सिग्नल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ‘क्षेत्रीय से वैश्विक स्तर तक कवरेज का विस्तार’ करने की दिशा में काम करेगी।
क्यों दे रही है सरकार ‘NAVIC’ को बढ़ावा ?
सरकार ने फरवरी 2020 में लोकसभा में कहा था कि नाविक मेक इन इंडिया की दिशा में एक कदम है। जिससे देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। सरकार विदेशी उपग्रह प्रणालियों पर निर्भरता को दूर करने के लिए नाविक सिस्टम विकसित कर रही है। खासतौर पर रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनना इसका मुख्य उद्देश्य है। GPS और ग्लोनास जैसे विदेशी सिस्टम पर हमेशा भरोसा करना रणनीतिक तौर पर सही नहीं हो सकता। क्योंकि ये सभी उन देशों की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित हैं।
क्या चाहती हैं मोबाइल कंपनियां, इसको लागू करने के लिए ?
मोबाइल निर्माता कंपनियां सरकार के इस निर्देश से काफी परेशान दिख रही हैं। एप्पल, सैमसंग और शाओमी जैसी कंपनियां इसे लागू करने के लिए 2 वर्षों की मोहलत मांग रही हैं। कंपनियों का कहना है कि इतनी जल्दी नाविक सिस्टम लागू करने पर फोन की लागत पर काफी असर होगा। इसके साथ ही तकनीकि बाधाएं भी आ सकती हैं। कंपनियां इसके लिए उत्पादन और शोध लागत बढ़ाने की बात कह रही हैं। ऐसे में इसे अगले साल की शुरूआत से ही लागू करने की कोशिश हुई तो आर्थिक नुकसान भुगतना पड़ सकता है।
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