Exit Poll 2022: गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ-साथ दिल्ली MCD चुनाव भी संपन्न हो चुका है। दिल्ली MCD के 250 वार्ड के लिए 1,46,73,847 मतदाता 13,665 केंद्रों पर मत डालेंगे। इस बार MCD में वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई है। आपको बता दें कि, इससे पहले सोमवार को तमाम न्यूज एजेंसियों ने Exit Poll के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जिनमें अनुमान लगाया गया है कि हिमाचल और गुजरात प्रदेश में भाजपा अपनी सत्त कायम रख पाएगी। जबकि दिल्ली MCD में अब आम आदमी पार्टी की सत्ता स्थापित होगी। इन तीनों राज्यों के ‘एग्जिट पोल‘ आंकड़े भाजपा और आम आदमी पार्टी के लिए तो संतोषजनक है, परन्तु कांग्रेस पार्टी के लिए ये आंकड़े निराशाजनक शाबित हो सकते हैं।
क्या कह रहे Exit Poll के आंकड़े ?
आपको बता दे, तीनों राज्यों के लिए 9 एजेंसियों द्वारा जारी एग्जिट पोल आंकड़े कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाले हैं। आंकड़ो के मुताबिक, गुजरात विधानसभा और दिल्ली चुनाव में सबसे ज्यादा अगर किसी पार्टी को नुकसान हुआ है तो वह कांग्रेस है। हालांकि, हिमाचल में जरूर कांग्रेस ने मजबूती से पकड़ बना रखी है। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं, कि यहां भी भाजपा की ही सत्ता कायम रहने वाली है। ऐसे नतीजे तब आ रहे हैं, जब कांग्रेस के सबसे बड़े दिग्गज राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत 12 राज्यों से होते हुए 3,500 किमी से ज्यादा का सफर पैदल तय कर रहे हैं।
इस यात्रा का उद्देश्य न सिर्फ पार्टी को मजबूत करना है, बल्कि नए लोगों को मजबूती से पार्टी में जोड़ना है। यही कारण है कि अब कांग्रेस पर सवाल उठने लगा है। आखिर इतनी मेहनत के बावजूद कांग्रेस कहां चूक कर रही है? क्यों लोग कांग्रेस को वोट नही कर रहे हैं? एक-एक करके हर राज्य में कांग्रेस क्यों कमजोर होती जा रही है? आइए समझते हैं…
गुजरात में क्या हाल है ?
गुजरात को लेकर 9 एजेंसियों ने सर्वे किया था। जिसमें सभी ने भारतीय जनता पार्टी की सत्ता बरकरार रहने का अनुमान लगाया है। यहां भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। यही नहीं, पिछली बार के मुकाबले इस बार सीटों में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है। सर्वे ने भाजपा को 182 में से 110 सीटों से ज्यादा मिलने का अनुमान लगाया है। ये Exit Poll आंकड़ा अधिकतम 151 तक जा रहा है, यदि ऐसा हुआ तो गुजरात में भाजपा नया रिकॉर्ड बनाएगी। वही, इस बार चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतरी AAP पार्टी को कुछ खास फायदा नहीं दिए रहा है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। गुजरात में 27 साल से भाजपा की ही सत्ता कायम है। 2017 के मुकाबले कांग्रेस को इस बार ज्यादा नुकसान है।
हिमाचल में क्या हाल है ?
यहां सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। इसके लिए 9 एजेसिंयों में से 6 ने भाजपा की ही सत्ता कायम रहने का अनुमान लगाया है, वहीं 3 सर्वे में महामुकाबले का अनुमान है। जहां 68 सीटों वाले हिमाचल में सत्ता बनाने के लिए 35 सीटों की जरूरत पड़ती है। उनमें से आजतक एक्सिस ने भाजपा को 24-34 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। वहीं आजतक एक्सिस माय इंडिया के सर्वें ने कांग्रेस को 30-40 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। यदि All Over Exit Poll आंकड़े देखे जाएं तो भाजपा की जीत तय है। ऐसे में इस राज्य में भी कांग्रेस सत्ता में आने से चूक रही है।
दिल्ली MCD का क्या हाल है ?
आपको बता दें कि, इस बार तमाम एग्जिट पोल में दिल्ली नगर निगम चुनाव में बड़े उलटफेर का अनुमान लगाया जा रहा है। Exit Poll के आंकड़ों के अनुसार, 15 साल से MCD में काबिज भाजपा के हाथ से सत्ता चली जाएगी। आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत दर्ज करने का अनुमान है। दिल्ली MCD को 5 एजेंसियों ने सर्वे किया है, सभी ने आप को ही पूर्ण बहुमत से जीतने का अनूमान लगाया है। आजतक एक्सिस माय इंडिया ने आप को 149 से 171 सीटों पर जीत का अनुमान लगाया है। यहां आप को ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, वहीं कांग्रेस को अस्तित्व बचाने की नौबच आ गई है। दिल्ली विधानसभा से पहले ही कांग्रेस साफ हो चुकी है, अब MCD में भी काफी कम सीटों से संतोष करना पड़ेगा।
कहां चूक कर रहीं कांग्रेस ?
वरिष्ट पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से इस संबंध में बात की गई। जिसमें उन्होंने बताया कि, ‘तीनों राज्यों में सही से देखा जाए तो लगा ही नहीं कि कांग्रेस जीतने के लिए लड़ रही है। तीनों राज्यों में कांग्रेस ने पूरा चुनाव राज्य संगठन पर ही छोंड़ दिया था। इन तीनों चुनावों में कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता बिल्कुल भी एक्टिव नहीं दिखे। गुजरात में मुश्किल से राहुल की 3 रैलियां और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 2 रैलियां ही हुई थीं। हिमाचल में भी कांग्रेस कुछ ऐसे ही एक्टिव रहा। वहीं, ‘कांग्रेस में अब अच्छे नेताओं का संकट होने लगा है’। जो अच्छे तेज तर्रार नेता थे उन्हें तरजीह नहीं मिली, इसी लिए वो दूसरी पार्टियों में चले गए।
कांग्रेस इन चुनावों में एक्टिव नहीं :
प्रमोद ने कहा, ‘भाजपा, आप और कांग्रेस में यही सबसे बड़ा अंतर है। आप और भाजपा ने चुनाव को हर स्तर पर लड़ने की कोशिश की। छोटे-छोटे चुनाव में इनके बड़े नेता उतर आते हैं। वहीं, कांग्रेस आज भी पुराने जमाने की तरह मैनेजमेंट में ही जुटी हुई हैं। प्रमोद बोले, ‘यदि कांग्रेस इन चुनावों को लेकर गंभीर होती तो अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खरगे राहुल को हिमाचल और गुजरात चुनाव में उतरने के लिए कहते। और खरगे खुद भी चुनावी मैनेजमेंट में एक्टिव नजर आते, लेकिन उन्होने पूरा चुनाव राज्य स्तरीय नेताओं के भरोसे छोंड़ दिया।
क्या ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का कोई असर नहीं हुआ ?
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा‘ फेल हो गई है। कांग्रेस ने बड़े ही सोच समझकर यात्रा का रूट और समय निर्धारित किया था। यात्रा का अधिकतम समय दक्षिणी राज्यों गुजारा गया। उत्तर भारत के राज्यों में यात्रा कम समय के लिए है। मतलब स्पष्ट है कि कांग्रेस अभी दक्षिणी भारत के राज्यों को साधने में जुटी हुई है, जहां भाजपा अभी ज्यादा मजबूत नहीं है। प्रो. सिंह बोले, ‘जब दक्षिणी राज्यों में चुनाव होंगे तब राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र जरूर होगा। तभी इस यात्रा के बारे में कहा जा सकेगा कि असर हुआ अथवा नहीं’।
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