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Durga Ashtami : दुर्गाष्‍टमी आज, इस शुभ मुहूर्त में करें मां‍ दुर्गा की पूजा, जानें विधि और मंत्र..

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Durga Ashtami

Durga Ashtami : आज 3 अक्‍टूबर, सोमबार को शारदीय नवरात्रि का 8वां दिन है। शारदीय नवरात्रि के 8वें दिन मां के महागौरी स्‍वरूप की पूजा-अर्चना एवं उपासना की जाती है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार ऐसी मान्‍यता है कि नवरात्रि के पहले, पांचवे तथा आठवें दिन देवी मां की उपासना करने से अनन्‍य लाभ एवं सुख समृध्दि प्राप्‍त होती है। इन दिनों कन्‍या पूजन करने से भी बहुत लाभ होता है। आज  यानि अष्‍ठमी के दिन मां महागौरी का रंग अत्‍यंत गोरा है, इनकी चार भुजाएं हैं और बैल की सवारी करती हैं। मां का स्‍वभाव शांत है। तो चलिए जानते हैं मां महागौरी अथवा Durga Ashtami की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और कन्‍या पूजन महत्‍व ..

महागौरी ‘दुर्गा अष्‍टमी’ पूजा विधि ?

सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि के बाद साफ-स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। उसके बाद मां की प्रतिमा को शुध्‍द जल या गंगाजल से स्‍नाान करांए उसके पश्‍चात् मां को सुंदर स्‍वच्‍छ सफेद रंग के वस्‍त्र अर्पित करें। मान्‍यता है कि मां को सफेद रंग बहुत भाता है। इसलिए हो सके तो मां को सफेद पुष्‍प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम का टीका लगाएं। उसके बाद मां को भोग में पंच मेवा, मिष्‍ठान एवं फल अर्पित करें। यज्ञ करते समय इस मंत्र का जाप अवश्‍य करें, अथवा मां की आरती करें और कन्‍या भोज जरूर करवाएं।

मंत्र– या देवी सर्वभूतेषु मॉं गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम: ।।

कैसे पड़ा महागौरी नाम ?

आज शारदीय नवरात्रि की अष्‍टमी तिथि है इस दिन को महाष्‍टमी अथवा दुर्गाष्‍टमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के 8वें दिन मां के 8वें स्‍वरूप मां महागौरी की पूजा उपासना की जाती है। पौराणिक मान्‍यतानुसार, देवी ने मात्र 8वर्ष की आयु में महादेव को पाने के लिए घोर तपस्‍या की थी। जिस कारण से उनका पूरा शरीर काला पड़ गया था। जिसके बाद महादेव उनकी तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर उन्‍हें वरदार दिया और उनके ऊपर गंगाजल छिड़का, जिससे उनका रंग काला से गौर हो गया। तभी से मां के महागौरी स्‍वरूप की पूजा की जाती है।

क्‍या है ‘Durga Ashtami’ का महत्‍व ?

नवरात्रि पर मां दुर्गा 9 दिनों के लिए पृथ्‍वी पर आकर अपने भक्‍तों को सुख-समृध्दि का आर्शीवाद देती है। इन दिनों मां की पूजा करने से घर में व्‍याप्‍त नकारात्‍मक ऊर्जा, गृह कलेश इत्‍यादि मिट जाते है।  नवरात्रि के आठवें दिन मां के महागौरी स्‍वरूप की पूजा का विधान होता है। इस दिन मुख्‍यत: कन्‍या पूजन किया जाता है जिसमें 2 से 10 वर्ष तक की कन्‍याओं को घर बुलाकर उनका स्‍वागत और पूजा की जाती है। मान्‍यतानुसार, कन्‍याओं की पूजा और उनको खाना खिलाने से घर का वास्‍तुदोष दूर होता है। ज्‍योतिष में भी कन्‍या पूजन को बहुत फलदायी माना गया है।  नवरात्रि के उत्‍सव में दुर्गा अष्‍टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्‍व होता है।

कुमारी पूजा का क्‍या महत्‍व है ?

नवरात्रि के दिनों में कन्‍या पूजन का विशेष महत्‍व है, दुर्गाष्‍टमी एवं नवमी के दिन पर कुवांरी कन्‍याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोए जाते है। उसके बाद उनको रोली अथवा कुमकुम का टीका लगाया जाता है। उसके बाद उनको भोजन करवाया जाता है साथ ही गिफ्ट देकर विदाई दी जाती है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार 2 से 10 साल की कन्‍याओं का पूजन शुभ और उपयुक्‍त माना जाता है जिसे कुमारिका या कंजक पूजा के नाम से भी जाना जाता है। कन्‍या पूजन में 9 बालिकाओं को देवी के अलग-अलग स्‍वरूपों में पूजा जाता है। जिन्‍हें कुमारिका, त्रिमूर्ति, कन्‍याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा, भद्रा अथवा सुभद्रा रूपों में जाना जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

Kusum
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