Defence Items: AIDEF के महासचिव सी. श्रीकुमार ने अपने पत्र में बताया कि, जो आयुध कारखाने अब TCL और GIL के तहत आ गए हैं। उन्हें वर्क लोड प्रदान किया जाए। केंद्र सरकार ने TCL के लगभग सभी उत्पादों को गैर-कोर के रूप में घोषित कर दिया है।
TCL और GIL के अंतर्गत ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने भारतीय सेना के लिए कई महत्वपूर्ण स्वदेशी Defence Items तैयार किए हैं। जिनमें से कॉम्बेट यूनिफॉर्म डिजिटल पैटर्न एंटी माइक्रोबॉयल फिनिश, कॉम्बेट डिजिटल पैटर्न लाइटर वर्ज, कोट ईसीसी नया वर्जन, NIR कैमुफ्लॉगिंग, बैलिस्टिक हेलमेट, बुलेट रजिस्टेंट जैकेट, जैकेट NIJ 3 प्लस और बुलेट रजिस्टेंट वेस्ट एनआईजे 3ए जैसे 28 प्रोडक्ट शामिल हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि उत्पाद तैयार होने के बाद कारखानों को डिफेंस मिनिस्ट्री एवं सेना मुख्यालय की ओर से कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली। वैसे भी इन कारखानों के पास वर्कलोड न के बराबर ही है और ऐसे में रक्षा मंत्रालय का प्रतिकूल रूख चिंता का विषय है। इनके के लिए वर्ष 2023-24 के लिए भी कोई वर्कलोड नहीं है। सेना के लिए अति महत्वपूर्ण Defence Items तैयार करने वाला कारखाना आज खुद को संकट में मान रहा है।
निजी फर्म से सेना ने ऑर्डर किए 10 हजार प्रूफ जैकेट्स :
महासचिव श्रीकुमार ने अपने ने अपने पत्र में लिखा है। कुछ मीडिया रिपोर्टस से जानकारी मिली है कि, सेना ने एक अन्य निजी फर्म से 10 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट ऑर्डर किए हैं। ऐसे में AIDEF सरकार से अपील करता है कि, सरकार कपड़े की वस्तुओं व सेना को कंफर्ट प्रदान करने वाले आइटम्स का ऑर्डर निजी फर्मों को सौंपने की गलती न करें। ये कंपनियां टेंडर लेते वक्त तो बहुत कम कीमत का हवाला देकर प्रतिस्पर्धा में शामिल तो हो जाती हैंं।लेकिन बाद में उत्पाद की गुणवत्ता से समझौता करती हैं। और निजी क्षेत्र की ये कंपनियां गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति करने में विफल रहती हैं। जिसका खामियाजा भारतीय सैनिकों को चुकाना पड़ सकता है।
‘Defence Items’ ऑर्डर न मिलने पर राजनाथ सिंह को लिखा पत्र :
माल सप्लाई का ऑर्डर न मिलने पर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ( AIDEF) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने 20 सितंबर को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा कि, जो आयुध कारखाने अब TCL और GIL के तहत आ गए हैं। उन्हें वर्क लोड प्रदान किया जाए।
केंद्र सरकार ने TCL के लगभग सभी उत्पादों को गैर-कोर के रूप में घोषित कर दिया है। इन इंडस्ट्रीज को निजी क्षेत्र के साथ एक निविदा में प्रतिस्पर्धा करने के लिए कहा जा रहा है। रक्षा क्षेत्र के लगभग 28 उत्पादों से रक्षा मंत्री को अवगत कराया गया है। ये सभी उत्पाद इन कारखानों के आंतरिक अनुसंधान और विकास प्रयासों से कारण ही विकसित हुए हैं। हालांकि, यह बात अलग है कि, अभी तक इन कारखानों को रक्षा मंत्रालय या सेना मुख्यालय द्वारा कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इन कारखानों के काम के बोझ की स्थिति इतनी भयावह है कि वर्ष 2023-24 के लिए भी कोई वर्कलोड नहीं है। ये कारखाने वास्तविकता में एक बड़े संकट से जूझ रहे हैं।
1. निजी कंपनियां करती है ‘ डिफेंस आइटम्स’ गुणवत्ता के साथ समझौता :
श्रीकुमार के अनुसार, निजी फर्मों द्वारा भारतीय सेना को आपूर्ति की गई कपड़े की वस्तुओं को सेना की इकाइयों द्वारा अस्वीकार कर उन्हें वापस कर दिया गया है। इसके पीछे उत्पाद की घटिया क्वॉलिटी रही। भारतीय सेना की विभिन्न इकाइयों को निजी क्षेत्र द्वारा सप्लाई की गई, आर्मी लोगो यूनिफॉर्म और व्हाइट कॉटन कुक ड्रेस को खराब व घटिया गुणवत्ता के कारण इकाईयों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। ऐसे हजारों डिफेंस आइटम हैं, जो COD कानपुर में पड़े हुए हैं। यह काफी गंभीर चिंता का विषय है। देश की सुरक्षा एवं रक्षा तैयारियों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यह बात भी सामने आई है कि, निजी फर्म द्वारा 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकट ली गई हैं। जो तय मानको के अनुरूप बिल्कुल नहीं हैं।
2. श्रीकुमार ने रक्षा मंत्री से किया आग्रह :
श्रीकुमार जी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में संज्ञान लेने का आग्रह किया है। की वे TCL के तहत आयुध करखानों को कंफर्ट Defence Items की वस्तुओं की सप्लाई का ऑर्डर देने के लिए आदेश जारी करें। सैनिकों के लिए गुणवत्तपूर्ण उत्पाद सुनिश्चित करने तथा इन आयुध कारखानों के रक्षा नागरिक कार्यबल को बनाए रखें, जिसमें लगभग 1000 से अधिक महिला कार्मचारी शामिल हैं। इन कारखानों की स्थापित क्षमता का पूर्णत: उपयोग किया जाए एवं कारखानों को पूरा वर्कलोड मिले।
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