CPEC Project Protest: चीन की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक चीन-पाक आर्थिक गलियारा (China Pakistan Economic Corridor) को लेकर पाकिस्तान के ग्वादर सिटी में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। यह विरोध प्रदर्शन करीब 2 महीने से जारी है। पिछले दिनों, इस मुद्दे को लेकर चीन ने अपनी सफाई भी दी थी। चीन ने कहा था कि इस विरोध प्रदर्शन का संबंध CPEC Project से नहीं है। अब पाकिस्तान में CPEC Project Protest के चलते आए दिन ग्वादर शहर में पत्थरबाजी और फाइरिंग जैसी घटनाएं हो रही है। इस उग्र प्रदर्शन ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। यह विरोध प्रदर्शन हक-दो-तहरीक के बैनर तले हो रहा है, जिसका नेतृत्व मौलाना हिदयातुद रहमान बलूच कर रहे हैं।
क्यों हो रहा विरोध ?
पाकिस्तान के पूरे बलूचिस्तान प्रांत के लोग चीन के इस ड्रीम प्रोजेक्ट CPEC के विरोध में उठ खेडे हुए हैं। उन्होंने सेना के राजनीतिकरण और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) से देश को खतरा बतया है। ग्वादर के स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरक्षा बल उन्हें आने-जाने से रोकते और उनकी गतिविधियों पर सवाल उठाते हैं। उन्हें अपने ही देश में अजनबी की तरह ट्रीट किया जाता है। ग्वादर के स्थानीय मछुआरों का कहना है कि, पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान तट पर मछली पकड़ने के लिए चीनी मछुआरों को लाइसेंस जारी करती है। जिससे उनकी रोजी-रोजी भी छिन रही है।
Balochistan is gripped by protests against the projects being developed under China Pakistan Economic Corridor (CPEC), one of Beijing's key streams to realise its Belt and Road Initiativehttps://t.co/vcYnDvNb0F
— WION (@WIONews) December 29, 2022
‘हक-दो-तहरीक’ के बैनर तले हो रहा विरोध :
यह विरोध प्रदर्शन नव गठित समूह ‘हक-दो-तहरीक’ के बैनर तले हो रहा है। इस समूह का नेतृत्व मौलाना हिदयातुर रहमान बलूच कर रहे हैं। मौलाना पहले से ही बलूचिस्तान के ‘जमीत-उल-इस्लामी’ के महासचिव हैं। यह समूह संघीय और प्रांतीय सरकार द्वारा लोगों की उचित मांगों को नजरअंदाज कर और उनके रवैये से खफा है। इस समूह की मांगों में ग्वादर जल अवैध ट्रालिंग, पाकिस्तान-ईरान सीमा से व्यापार और बड़ी संख्या में सुरक्षा चेकप्वाइंट शामिल हैं। यह विरोध बढ़ता ही जा रहा है। इसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष के दौरान फाइरिंग और पत्थराव आम बात हो गई है।
क्या हैं प्रदर्शनकारियों का आरोप ?
चीन-पाक आर्थिक गलियारे प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि, पाकिस्तान सरकार चीनी मछुआरों को लाइसेंस जारी कर रही है। जिससे हमारा पारंपरिक रोजगार खत्म हो रहा है और हमें विस्थापित होना पड़ रहा है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार इनके कुछ मांगों को मानकर विरोध प्रदर्शन शांत करने का प्रयास में लगी है। इसी बीच, बलूच विद्रोहियों ने सुरक्षा बलों पर हमले करके पाकिस्तान सरकार की नाक में दम कर दिया है।
क्या है CPEC प्रोजेक्ट ?
यह प्रोजेक्ट चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के रास्ते ईरान के पास अरब सागर तट पर स्थित ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है। इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन काराकोरम हाइवे से गुजरते हुए अरब सागर तक पहुंचता है। ग्वादर पोर्ट इस प्रोजेक्ट के लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस प्रोजेक्ट का अंतिम बिंदु है। चीन ने इस CPEC Project पर 60 मिलियन डॉलर का भारी भरकम निवेश किया है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) एवं अक्साई चीन जैसे विवादित क्षेत्रों से गुजरता है।
भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध हमेशा से ही करता रहा है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट का रूट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर जाता है। पाकिस्तान द्वारा ग्वादर बंदरगाह को चीन को सौंप देने के बाद चिंता बढ़ गई है। आशंका जताई जा रही है कि, कुछ समय बाद ग्वादर बंदरगाह चीनी नौसैनिकों का अड्डा बन जाएगा। जो चिंता का विषय है।
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