Chhath Pooja 2022: आज से छठ पूजा का महापर्व शुरू हो रहा है, यह पर्व विशेष रूप से प्रकृति पूजन को परिलक्षित करता है। शुक्रवार 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलने वाले इस 4 दिवसीय त्यौहार का विशेष महत्व है। इस Chhath Pooja के दौरान महिलाएं साफ-सफाई कर 36 घंटे का निर्जल उपवास रखती हैं। इस त्यौहार में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा के कारण इसे लोक आस्था का प्रतीक भी माना जाता है। इसमें उगते एवं डूबते सर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस महापर्व पर प्रत्येक नियम का पालन करना अनिवार्य होता है। इस पर्व के नियमानुसार ही, महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। क्या आप इसकी असली वजह जानते हैं, यदि नहीं तो पढि़ए ये पोस्ट..
छठ पूजा में आखिर नाक तक सिंदूर क्यों?
छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। इसके पीछे भी एक धार्मिक मान्यता है, इस मान्यतानुसार जो महिलाएं सिंदूर को बालों छुपा लेती हैं उनका पति समाज में छुप जाता है। वह तरक्की नहीं कर पाता और न ही समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त कर पाता है। इसके साथ ही उनका पति अल्पायु भी होता है। यही कारण है कि महिलाएं छठ पूजा के दौरान नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। ताकि उनका पति दीर्घायु होने के साथ ही समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी बना सके।
इस छठ पूजा में 3 प्रकार का सिंदूर शामिल:
मटिया सिंदूर – यह सिंदूर का सबसे शुध्द रूप माना जाता है, जिसका उपयोग मुख्यत: बिहार में किया जाता है। यह सिंदूर पूर्णत: मिट्टी की गुणवत्ता वाला होता है, इसीलिए इसे मटिया सिंदूर कहा जाता है। इस उपयोग खासतौर पर छठ पूजा में चढ़ाने के लिए किया जाता है।
नारंगी/पीला सिंदूर – इसी सिंदूर को छठ पूजा के दौरान महिलाएं माथे से लेकर नाक तक लगाती हैं। नियमानुसार, छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाएं दूसरी शादीशुदा महिलाओं की मांग इसी पीले सिंदूर से सजाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस सिंदूर से सूर्य देव और छठी मइया का आर्शीवाद मिलता है, एवं पति का मान-सम्मान बढ़ता है।
सूर्ख लाल सिंदूर – सुर्ख लाल सिंदूर माता पार्वती एवं सती की ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए आमतौर पर महिलाएं छठ पूजा के दौरान लाला रंग का सिंदूर इस्तेमाल करती हैं। ऐसी मान्यता है कि लाल सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है1
हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व:
हिंदू धर्म में सिंदूर का एक विशेष महत्व है, इसलिए हिंदू धर्म में सिंदूर को नियमानुसार ही उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यतानुसार,सुहागिन महिलाओं को कभी भी खाली मांग नहीं रखनी चाहिए, नहाने के बाद सबसे पहले सिंदूर लगाना चाहिए। इस धर्म में महिलाएं अपने पति की दीर्द्यायु के लिए लंबा सिंदूर लगाती हैं। माना जाता है कि महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाएंगी उनके पति की आयु उतनी ज्यादा लंबी होगी। इसी मान्यतानुसार ही महिलाएं छठ एवं तीज त्यौहर पर लंबा सिंदूर लगाती हैं।
चार दिवसीय छठ पूजा:
यह Chhath Pooja प्रत्येक साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आयोजित की जाती है। यह महाव्रत कार्तिक मास के चतुर्थी तिथि से सम्पन्न होता है। चुतर्थी तिथि को प्रथम दिन में नहाय-खाय, पंचमी तिथि को दूसरे दिन खरना, षष्ठी तिथि को तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य एवं सष्ठी तिथि को चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह महाव्रत परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य एवं समृध्दि के लिए रखा जाता है।
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