Budget 2023-24: पिछले बजट में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत 4.32 में ही सिमट कर रह गया था। लेकिन अब MSME सेक्टर में औद्योगिक कार्य करने पर विशेष प्रोत्साहन योजना एवं शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी के माध्यम से बढ़त मिल सकती है। जिससे आगामी बजट ‘Budget 2023-24‘ में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। क्योंकि सरकार तकनीकि और कौशल आधारित शिक्षा में महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की शुरूआत कर रही है। जिस तरह महिला वोटर्स भाजपा के लिए सत्ता में आने की गांरटी साबित हो रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है, इसी साल होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए सरकार महिलाओं को लुभाने हेतु आगामी बजट में महिलाओं हेतु विशेष प्रावधान कर सकती है।
पिछले बजट में महिलाओं की भागीदारी :
पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में महिलाओं के लिए 1,71,006 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था। जो कि 2021-22 में दिए गए 1,53,326 करोड़ रूपये से लगभग 11% अधिक था। हालांकि, बजट में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी की दृष्टि से पिछले बजट में महिलाओं की हिस्सेदारी आंशिक तौर पर कम हो गई थी। जहां 2021-22 के बजट का 4.4% हिस्सा महिलाओं के हिस्से में आया था, वहीं 2022-23 के बजट में यह हिस्सेदारी 4.32% रह गई थी।
As #UnionBudget 2023-24 is round the corner, let us glance through the major announcements made in past years’ Union Budgets and how the Government endeavours to fulfil those announcements.
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) January 2, 2023
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पिछले बजट (2022-23) में 25,172.25 करोड़ रूपये का बजटआवंटित किया गया था। वहीं इससे पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 24.435 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया था। इस प्रकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्धारित बजट में भी पिछली बार आंशिक बढ़त हुई थी। इस बार भी यह क्रम जारी रहेगा।
महिला मतदाता क्यों महत्वपूर्ण ?
आंकड़े बताते है कि जिस पार्टी में महिला मतदाओं की हिस्सेदारी बढ़ती है, उस पार्टी के जीतने के आसार बढ़ जाते हैं। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (CSDS) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2007 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी को 32% महिलाओं ने वोट किया था और मायावती मुख्यमंत्री बनीं थीं। ऐसे ही 2012 में सपा को 31% महिलाओं ने वोट किया था, तब उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने थे। 20217 में 41% महिलाओं ने वोट कर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद साल 2022 में यूपी में पुन: योगी सरकार आई, जिसके लिए विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने सपा की अपेक्षा भाजपा को 16 प्रतिशत अधिक वोट किया था।
सरकारी योजनाओं के केंद्र पर महिलाएं :
आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि केंद्र सरकार की 80% से ज्यादा कल्याणकारी योजनाए सीधे तौर पर महिलाओं के लिए होती हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, राशन योजना, उज्जवला योजना, मनरेगा सहित अनेक योजनाओं के केंद्र में महिलाएं ही लाभार्थी होती हैं। पिछले बजट में महिलाओं के लिए निर्धारित होने वाला सबसे बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से आया था। चूंकि, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए जाने वाले घरों की रजिस्ट्री महिला सदस्यों के नाम होनी तय की गई थी। इसीलिए महिलाओं के लिए निर्धारित होने वाले बजट में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई थी।
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