Babli Bouncer Review: नेशनल फिल्म अवॉर्ड विजेता फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर ने भले ही फिल्में कम बनाई हों, लेकिन अधिकतर फिल्मों का परफॉर्मेंस शानदार रहा है। हमेशा ही उनका प्रयास रहा है कि, फिल्म किसी सामाजिक विषय अथवा समस्या पर आधारित रहे। इसके बावजूद भी उनका बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस कमर्शियल फिल्मों की तुलना में बेहतर ही रहा है। उनके द्वारा दी गई फिल्मों में चांदनी बार, सत्ता, पेज-3, फैशन, ट्रैफिक सिग्नल, हीरोइन और इंदू सरकार इत्यादि शामिल हैं। जिनमें से प्रत्येक की कहानी वास्तविकता से जुड़ी हुई है।
5 साल बाद उनकी 15वीं फिल्म ‘बबली बाउंसर’ आज यानि 23 सितंबर को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होने जा रही है। मधुर की फिल्म Babli Bouncer का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है, जिसमें तमन्ना भाटिया बोल्ट और बिंदास अवतार में नजर आ रही हैं। इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण मुद्दे को फिल्माया गया है।
फिल्म के बारे में :
- लेखक : मोहम्मद शकील, अराधना साह, सुमित घिडियाल , अमित जोशी और मधुर भंड़ारकर
- निर्देशक : मधुर भंडारकर
- कलाकार : तमन्ना भाटिया, साहिल वैद, सानंद वर्मा, अभिषेक बजाज, सौरभ शुक्ला और सव्यसाची
- ओटीटी : डिज्नी प्लस हॉटस्टार
- निर्माता : स्टार स्टूडियोज व जंगली पिक्चर्स
- रेटिंग : 2/5
क्या है फिल्म ‘Babli Bouncer’ की कहानी :
फिल्म Babli Bouncer की कहानी (रिलीज हुए 2 मिनिट 36 सेकेंड के ट्रेलर) में फतेहपुर बेरी गॉंव के परिचय के साथ शुरू होती है। जिसे बाउंसर्स का गांव कहा जाता है। यहां पैदा होने वाले हर मर्द का एकमात्र उद्देश्य बॉडी बनाना और दिल्ली जैसे शहरों में जाकर बाउंसर्स का काम करना होता है। यहां कि लड़कियों के लिए कहा जाता है कि चुल्हा-चौका और घर-गृहस्थी का काम सीखकर शादी करके घर बसा लेना।
लेकिन बबली (तमन्ना भाटिया) इन सभी लड़कियों से अलग है क्योंकि वह अखाड़े जाकर पहलवानी करना चाहती है। मां चाहती हैं कि बबली की किसी तरह शादी हो जाए । लेकिन दूसरी तरफ बबली शादी से पहले आत्मनिर्भर बनना चाहती है। इसीलिए वह शादी के लिए घर आये रिश्ते को ठुकराकर दिल्ली चली जाती है। जहां पहुंचकर वह एक क्लब में बाउंसर का काम करने लगती है। इसी बीच कुछ लड़के एक लड़की को किडनैप कर लेते है। और बबली अपने पापा की कसम तोड़ कर उन गुंडों की जमकर पिटाई करती है और उस लड़की को गुंडों से बचाती है।
क्या है मधुर भंडारकर के सिनेमा की डायरेक्शन ?
आज के युग का सिनेमा परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। किसी भी भाषा के सिनेमा से जरा सा भी ताल्लुक रखने वाले से बात कीजिए, तो पता चलेगा की दर्शकों की रूचियां और उनके सामने मौजूद इंटरटेनमेंट के विकल्प अब बदल गए है। जो निर्देशक खुद को बदलने की कोशिश नहीं कर रहे वे बड़े पर्दे से निकलकर OTT पर सिमट रहे हैं। मधुर भंडारकर ने जो वर्षों पहले बना दिया, दूसरे उसे अब अपना रहे हैं। और मधुर अपने ही सिनेमा से लगातार पीछे जा रहे हैं। मधुर की सफल फिल्मों का DNA लगभग एक जैसा है। मधुर की नायिका अक्सर उस पेशे से आती है, जो आम दुनिया की निगाहों में अक्सर नहीं होती। लेकिन Babli Bouncer में ये करने से वह फिर चूक गए हैं।
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