Environment protection: बिजनौर जिले के नजीबाबाद के युवा शोधकर्ता रॉबिन कुमार ने पर्यावरण संरक्षण हेतु एक बेहतर उपाय सुझाया है। इन्होंने ‘Environment protection‘ को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिससे चीनी मिलों से निकलने वाली राख का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकेगा। पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त ओमप्रकाश के बेटे रॉबिन कुमार ने नोएडा की डैन्सो इंडिया लैब में काली राख को ईंधन के रूप में परिवर्तित कर उससे वैकल्पिक ऊर्जा का स्त्रोत विकसित करने का प्रोजेक्ट तैयार करने का दावा किया है। रॉबिन का कहना है कि, चीनी मिल से निकलने वाली राख पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होती है। जिसका समाधान करना अति आवश्यक है।
क्या कहते हैं रॉबिन ?
आचार्य RN केला इंटर कॉलेज से इंटर और बिजनौर के कृष्णा कॉलेज से माइक्रोबायोलाजी में B.Sc की शिक्षा पाने वाले रॉबिन का दावा है कि, ईंधन ऊर्जा के इस विकल्प से कचरे से निजात मिलेगी। बाजार में ऊर्जा का नया स्त्रोत दिखाई देगा। चीनी मिल के बाहर लगे ढेर की काली राख को लेकर रॉबिन ने उस पर डैन्सो इंडिया लैब में शोध किया। स्टार्च और अन्य कैमिकल की मदद से उसने राख को ठोस पदार्थ में बदला।
रॉबिन ने काली राख से बनाए गए ठोस पदार्थ को जलाया, तब उसके 70 फीसदी भाग का उपयोग किया जा सका और 30 फीसदी अवशेष सफेद राख के रूप में बच गया। अब इसे ऊर्जा में बदलने का कार्य किया जा रहा है। रॉबिन का कहना है कि, वह इस फार्मूले को पेटेंट कार्यालय से पेटेंट भी कराएंंगे। साथ ही वह अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भागेदारी के लिए प्रयास करेगा।
डैन्सो लैब के उप-प्रबंधक ने कहा ?
स्वास्थ्य एवं पर्यावरण सुरक्षा, डैन्सो लैब नोएडा के उप प्रबंधक मेहरचंद का कहना है कि, ”काली राख, स्टार्च और हाइड्रो कार्बन के मिश्रण से तैयार उत्पाद का फैक्ट्रियों में ईंधन, माचिस में चलने वाले पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जा सकता है”। उन्होंने बताया कि डैन्सो लैब में इसका परीक्षण किया गया है। वहीं, साहू जैन कॉलेज नजीबाबाद के रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रेमप्रकाश विश्वकर्मा का कहना है कि, यदि हाइड्रोकार्बन और स्टार्च के मिश्रण से मिलों की काली राख जल जाती है, तो इसके सार्थक परिणाम आ सकते हैं। यह एक सुखद अनुभव होगा।
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