चीता परियोजना :
हाल ही में चल रही ‘चीता परियोजना’ के तहत, शनिवार को नामीबिया से 8 चीताओं को भारत लाया गया। जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72वें जन्मदिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश स्थित कुनों राष्ट्रीय उद्यान में छोंड़ दिया। नामीबिया से चीतों को मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान द्वारा लगभग 8000Km दूर भारत लाया गया। लेकिन ग्वालियर से इन्हें विशेष हेलिकॉप्टर ‘चिनूक’ द्वारा मध्यप्रदेश के कुनों राष्ट्रीय उद्यान लाया गया। भारत से चीतों के विलुप्त होने की घोषणा साल 1952 में कर दी गई थी। जिससे अब लगभग 70 वर्ष बाद देश में चीते दिखाई दिए। नामीबिया से लाए गए इन चीतों में रेडियो कॉलर लगे हुए हैं। आइए जानते है, इनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी-
कब शुरू हुई भारत में चीता लाने की कहानी ?
वैसे तो भारत को चीतों के पूवजों का देश कहा जाता है। मगर भारत में चीतों की जद्दोजहद कहानी तब शुरू होती है, जब 1952 में देश से चीता के विलुप्त होने की घोषणा की जाती है। उसी वक्त सरकार ने चीतों के संरक्षण के लिए विशेष परियोजना का एलान किया।
ईरान से एशियाई शेरों के बदले एशियाई चीतों को भारत लाने के लिए 1970 के दशक में बात शुरू हुई। लेकिन ईरानी एवं अफ्रीकी चीतों की समानता को देखते हुए यह तय हुआ कि अफ्रीकी चीतों को भारत लाया जाएगा। साल 2009 में देश में चीते लाने की कोशिश नए तरीके से शुरू की गई। जिसके लिए ”अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया” प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई। वर्ष 2010-2012 में सर्वेक्षण कर मध्यप्रदेश के कुनों नेशनल पार्क को चीतों के लिए चयनित किया गया।
चीतों को भारत कैसे लया गया ?
इतिहास की यह पहली घटना है जब विमान द्वारा चीतों को एक देश से दूसरे देश ले जाया गया हो। चीतों को नामीबिया की राजधानी होसिया से मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान द्वारा लाया गया। इसके लिए विमान में 114 सेमी X 118 सेमी X 84 सेमी माप वाले पिंजरे बनाए गए थे। अब इन चीतों को मध्यप्रदेश के कुनों नेशनल पार्क में बने विशेष बाड़ों में छोंड़ दिया गया है।
इन्हें भारत में कैसे रखा जाएगा ?
मध्यप्रदेश के कुनों राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के बाद इन्हें 30 दिनों तक क्वॉरंटीन रखा जाएगा। इस दौरान इन्हें बाड़ों के भीतर रखा जाएगा। इनके विशेष बाड़ो में रहने के दौरान इनके स्वास्थ्य और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। अगर 30 दिनों तक सबकुछ ठीक रहा तो फिर इन्हें जंगल में छोंड़ दिया जाएगा।
चीता के लिए कुनों ही क्यों ?
मध्यप्रदेश को एशियाई शेरों को लाने के लिए तैयार किया गया था। इस दौरान शेर के शिकार के लिए चीतल और संभल जैसे जानवरों को स्थानांतरित किया गया था। अत: स्थानांतरण की सारी तैयारियां यहां हुई थीं। लेकिन, गिर से इन शेरों को कुनो नहीं लाया जा सका। शेरों के लिए की गई तैयारी अब चीतों के काम आएगी। भारत सरकार ने कुनो के अलावा, मध्यप्रदेश के ही नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण, राजस्थान के भैरोगढ़ तथा शाहगढ़ में भी वैज्ञानिक आकलन करवाया । परंतु आकलन के बाद कुनो को ही चीतों के लिए उपयुक्त स्थान माना गया।
नामीबिया से आने वाले चीतों की खासियत क्या है ?
नामीबिया से आए इन 8 चीताओं में से 5 मादा और 3 नर चीते हैं। जिसमें से 2 नर चीतों की आयु 5.50 साल है तथा ये दोनों भाई है। दोनों को ओटजीवारोंगो स्थित निजि रिजर्व से लाया गया है। तीसरे नर चीते की आयु करीब 4.50 वर्ष की होगी, जिसको एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व से लाया गया है। 5 मादाओं में से एक 2साल, एक 2.50 साल, एक 3 साल एवं अन्य दो 5-5 साल की हैं।
इस पूरी कयावद में कितना खर्च हुआ ?
इस साल फरवरी 2022 में लोकसभा ने जानकारी दी है थी,कि Chitah Project के लिए 2021-2022 से 2025-2026 तक के लिए 38.70 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया है। इसी प्रोजेक्ट के तहत ही इन चीतों को भारत लाया गया।
क्या और भी चीता आएंगे भारत ?
इसके बाद अब दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने की बात भी लगभग पूरी हो चुकी है। यहां से भी जल्द ही चीते लाए जाएंगे। अगले 5 सालों में सरकार की योजना अफ्रीका सहित अन्य अलग-अलग देशों से चीते लाकर भारत में बसाने की है।
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