सार
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, जो भारत सरकार के सबसे पुराने एवं प्रमुख मंत्रालयों में से एक है, जिसको श्रमिकों के हितोंं की रक्षा और सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। जो देश में श्रम बल के जीवन और सम्मान में सुधार लाने के लिए लगातार कार्यशील है। ने श्रमिकों में रोजगार के नए अवसरों को बढ़ाने हेतु ‘ई-श्रम पोर्टल’ को राष्ट्रीय रोजगार सेवा एवं उद्यम पोर्टल से जोड़ा जा रहा है।
विस्तार :
वर्तमान समय में संपूर्ण राष्ट्र में व्याप्त बेरोजगारी भयावह समस्या बनती जा रही है जिसके चलते आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश में गहरा प्रभाव पड़ रहा है । रोजगार का विषय एक ऐसा मुद्दा है जो अर्थव्यवस्था के स्वरूप में परिवर्तन से प्रभावित होता है। जिसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए लगातार महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे है।
अब ‘ई-श्रम पोर्टल‘ का रोजगार सेवा से जोड़कर अवसरों में वृद्धि करना केंद्र सरकार की ओर से उठाया गया अहम कदम है।आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते प्रतीकात्मक कदमों, में से महिला सशक्तिकरण एक अहम कदम है। सामाजिक स्तर पर हो रहे तमाम बदलावों के कारण कार्यस्थल में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। रोजगार एवं संपत्ति का स्वामित्व आर्थिक आत्मनिर्भरता में के दो स्तंभ है। जहां तक स्वामित्व का विषय है तो उसमें सरकारी स्तर पर उठाए जाने वाले अहम कदम काफी हद तक पूरे हो चुके हैं, अब बचे हुए हिस्से सामाजिक जागृति पर निर्भर है। रोजगार में बराबर की हिस्सेदारी, तीव्र गति से आर्थिक वृद्धि एवं सामाजिक बराबरी को एक साथ सुनिश्चित करती है।
क्या है ‘ई-श्रम पोर्टल’ ?
भारत सरकार के सबसे पुराने एवं महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक, श्रम और रोजगार मंत्रालय जो श्रमिकों के हितों की रक्षा करते हुए, विभिन्न श्रम कानूनों, जो कामगारों की सेवा एवं रोजगार की शर्तों एवं नियमों को विनियमित करते है, के अधिनियम और कार्यान्वयन द्वारा संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में कल्याण को बढ़ावा देकर और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करके देश के श्रम बल के जीवन एवं सम्मान में सुधार लाने के लिए लगातार कार्यशील है।
इसके अनुसार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने असंगठित कामगारों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ”ई-श्रम पोर्टल” विकसित किया है। जिसे आधार के साथ जोड़ा जाता है। इसमें श्रमिक की सभी डिटेल शामिल होती है जिससे उनकी रोजगार क्षमता का इष्टतम उपयोग हो सके एवं उन तक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभों का विस्तार किया जा सके। यह प्रवासी कामगारों, सन्निर्माण कामगारों, गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों इत्यादि समेत असंगठित कामगारों का ऐसा पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है।
महिला सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है ?
कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़े यह बात भारत के संदर्भ में दो कारणों से और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। जिसमें पहला, विश्व की तुलना में भारत में महिलाओं की रोजगार में भागीदारी कम रही है। एवं दूसरा, पिछले कई दशकों में यह दर और भी नीचे चली गई है। कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी एवं आर्थिक विकास के संबंध को देखा जाये तो, विश्व के किसी भी देश में आर्थिक वृद्धि के शुरूआती दौर में यह घटती है। इसके पीछे दो मुख्य कारण होते है, पहला जब परिवारों की आय बढ़ती है तो बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लिए महिलाओं को भी कामकाजी बनना पड़ता है। ऐसे में अगर सामाजिक मान्यताएं महिलाओं को घरों से बाहर निकलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती हैं तो काफी हद तक यह संभव है कि महिलाएं कार्यबल से बाहर हो जाएं।
दूसरा, इस दौर में महिलाओं का शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात भी तेजी से बढ़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जो शिक्षा के लिए महज उतने संसाधन ही जुटा पाते थे जिससे बेटों की शिक्षा हो पाए, तब यह काफी संभव था कि उन परिवारों की लडकियां छोटे-मोटे काम में लगें, परंतु जब आर्थिक स्थितियां सुधरती है तब वे लड़कियों को भी पढ़ाई के लिए भेजते हैं। भारत में भी पिछले तीन दशकों में महिलाओं की कार्यबल में कम हुई भागीदारी के पीछे भी यही कारण रहे हैं।
रोजगारों की बदलती प्रवृत्ति :
आधुनिक तकनीकि वर्तमान रोजगार की प्रवृत्ति में परिवर्तन ला रही है गिग इकोनॉमी ने रोजगार की परिभाषा को बदल दिया है। कभी भी, कहीं से भी और जितना कार्य करना चाहें उतना ही करने की आजादी ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में सकारात्मक प्रभाव डालें है। वर्तमान में भारत वहां है जहां से कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए। वर्तमान में महिलाओं का उद्देश्य सिर्फ डिग्री प्राप्त करना नहीं रहा बल्कि रोजगार के अवसरों को भी देख रही हैं। महिलाओं ने अपने करियर के दायरे में भी विस्तार किया है। पति-पत्नी दोनों के काम करने को लेकर सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ी है। कौशल विकास पर प्रधानमंत्री के प्रयासों के उत्साहवर्धक परिणाम तो सामने आए हैं। परंतु गणित, विज्ञान, अभियांत्रिकी और चिकित्सा शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़े इसके लिए शिक्षा मंत्रालय को आगे आना होगा। इसी प्रकार से महिलाओं को व्यावसायिक शिक्षा से सक्रिय रूप से जोड़ने और उन्हें संबंधित प्रासंगिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
निष्कर्ष
वर्तमान सरकार में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एवं मेक इन इंडिया जैसे तमाम योजनाओं के द्वारा इन मसलों पर काम हो रहा है। परंतु पूर्ण समन्वय के साथ इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। पिछले एक वर्ष में श्रम मंत्रालय के ”ई-श्रम पोर्टल” से 400 अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के लगभग 28 करोड़ श्रमिक जुड़ चके है। यह एक सराहनीय कदम है कि ‘ई-श्रम पोर्टल’ को राष्ट्रीय रोजगार सेवा एवं उद्यम पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा, सरकार को श्रमिकों के लिए रोजगार निर्माण की आवश्यकता है जिससे उनकी आमदनी में इजाफा किया जा सके।
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